बंदरों-आवारा पशुओं ने छीना सुकून

नादौन — उपमंडल भर में दिन के समय वानर सेना और रात के समय आवारा पशुओं ने किसानों की नाक में दम कर रखा है। दिन के समय इन उत्पादी बंदरों ने किसानों की फसलों तथा बागबानों के बगीचों को तबाह करने का सिलसिला शुरू करके उन्हें हानि पहुंचाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है, जबकि रात के समय आवारा पशुओं ने फसलों पर कहर बरपाया हुआ है। उपमंडल मुख्यालय पर बेला गांव की टिल्लू पहाड़ी पर बनी सरकारी आवासीय प्रशासनिक अधिकारियों की कालोनी में ही बंदरों ने आंतक मचा रखा है। आसपास के ग्रामीण इन उत्पाती बंदरों से तंगी झेल रहे हैं। उधर, कोहला गांव में सब्जी उत्पादक आवारा पशुओं से परेशान हैं। ये आवारा पशु रात के समय गांव में आकर फसलों को चट कर जाते हैं और सुबह होने से पहले ही निकटवर्ती ब्यास नदी के बल्ला नामक टापुओं पर आराम से छिपकर धूप लगाते हैं। ग्रामीणों ने इस समस्या से निपटने के लिए आपस में मिल बैठ कर ठीकरी पहरा लगाकर भी इस समस्या का हल करना चाहा, परंतु उन्हें सफलता नहीं मिली। वहीं उपमंडल के बंटेरा, पखरोल, भलूं, मझयार, कलूर, अमलैहड, गारनी आदि में तो रात के समय नील गायों के कहर से किसान परेशान हैं। गौना, करौर, बसारल आदि सब्जी उत्पादक गावों में भी आवारा पशुओं तथा उत्पादी बंदरों से किसान दुखी हैं। हालात इस कदर खराब होते जा रहे हैं कि कई स्थानों पर तो किसानों ने फसलों को बीजना ही छोड़ दिया है। नादौन के साथ सटी ब्यास की पहाड़ी के साथ लगते क्षेत्र में भी किसानों ने फसलों की बिजाई करनी छोड़ दी है। वीरेंद्र चौधरी, पोलू राम, राकेश कुमार, संदीप कुमार, रिंकी ठाकुर, युदवीर सिंह, रूप लाल सैणी, सुरिंद्र कुमार, राजीव चौधरी, मीनू शर्मा, पवन चौधरी, तरसेम लाल, संदीप सैणी, शंकर सैणी, राजेश चौधरी ने विभाग और मुख्यमंत्री से इस समस्या का समाधान निकालने की मांग की है।






source: DivyaHimachal

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