शिमला —तकनीकी शिक्षा विभाग ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) कर्मियों द्वारा लिए जा रहे ऑनरेरियम पर रोक लगा दी है। ‘दिव्य हिमाचल’ ने 23 मार्च को ‘आईटीआई में छात्रों की फीस से भर रहे जेबें’ शीर्षक से खबर प्रकाशित करके यह मामला प्रकाश में लाया था। इस खबर पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार ने प्रधानाचार्य से चपरासी तक को दिए गए ऑनरेरियम की जांच के निर्देश दिए हैं। आगामी आदेश आने तक कोई भी आईटीआई कर्मी ऑनरेरियम नहीं निकाल पाएगा। सूत्रों की मानंे तो जांच के बाद राज्य सरकार आईटीआई कर्मियों से रिकवरी के आदेश भी जारी कर सकती है। बताया जा रहा है कि कुछ आईटीआई कर्मी सरकार द्वारा अधिसूचित दरों से भी अधिक ऑनरेरियम ले रहे हैं। यही वजह है कि हिमाचल में देश की सबसे महंगी तकनीकी शिक्षा दी जा रही है। कुछ आईटीआई में प्रधानाचार्य 10 से 20 हजार रुपए तक प्रतिमाह ऑनरेरियम ले रहे हैं। इसी प्रकार फोरमैन, इंस्ट्रक्टर, ट्रेनिंग क्लर्क, चपरासी कम चौकीदार, वर्कशाप अटेंडेंट तथा सफाई कर्मचारी को भी ऑनरेरियम दिया जा रहा है, जबकि इन सभी रेगुलर कर्मियों को सरकार तनख्वाह के रूप में मोटी रकम दे रही है। कायदे से पूर्णकालीन कर्मियों को बच्चों की फीस से ऑनरेरियम देना न्यायोचित नहीं है। आईटीआई कर्मियों को छात्रों से लिए जाने वाले सीओई, पीपीपी डिवेलपमेंट फंड से ऑनरेरियम दिया जा रहा है। प्रदेश में चुनिंदा ही आईटीआई ऐसी बताई जा रही हैं, जिनमंे ऑनरेरियम नहीं लिया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि ऑनरेरियम की आड़ में अरसे से अनुबंध ट्रेनरों को रेगुलर नहीं किया जा रहा है और न ही इंस्ट्रक्टर की 350 पोस्ट क्रिएट की गई हैं। जानकारों की मानंे कि यदि ऑनरेरियम को बंद कर दिया जाए तो हिमाचल में हरियाणा, केरल से भी सस्ती तकनीकी शिक्षा छात्रों को दी जा सकती है।
source: DivyaHimachal
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