कंपनियों को घटाने ही होंगे सीमेंट रेट


शिमला – राज्य में सीमेंट कंपनियों को सीमेंट की कीमतें कम करनी ही होंगी। गुरुवार को सदन में उद्योग व संसदीय कार्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सीमेंट कंपनियों को सीमेंट के दाम गिराने ही होंगे ओर यह कीमतें पड़ोसी राज्यों की तुलना में कम करनी पड़ेंगी। यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि भविष्य में भी कीमतें पड़ोसी राज्यों की तुलना में कम ही रहें। श्री अग्निहोत्री विधानसभा में गैर-सरकारी सदस्य दिवस के तहत भाजपा विधायक डा. राजीव बिंदल द्वारा लगाए गए संकल्प का जवाब दे रहे थे। वक्तव्य के बाद डा. बिंदल ने उद्योग मंत्री के जवाब से संतुष्ट होकर अपना संकल्प वापस ले लिया। मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सिरमौर जिला में कोई बड़ा सीमेंट उद्योग नहीं लग सकता, क्योंकि यहां चूना पत्थर की खाने लंबाई में हैं और इनकी चौड़ाई व गहराई कम है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि निकट भविष्य में जिला में चूना पत्थर के भंडारों का पता लगाने के लिए प्रोस्पेक्टिंग लाइसेंस जारी किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रदेश में हर साल 10-11 मिलियन टन सीमेंट का उत्पादन हो रहा है। राज्य में आगे के लिए सीमेंट कारखानों की स्थापना इनकी जरूरत पर निर्भर करेगी। सीमेंट उद्योगों की स्थापना के नाम पर प्रदेश के पर्यावरण से खिलवाड़ की अनुमति नहीं दी जाएगी।



माइनिंग से प्रतिबंध हटे


विधायक बलदेव तोमर ने कहा कि सिरमौर जिला में चूना पत्थर की 49 खानें हैं, मगर इनमें से केवल 11 से ही माइनिंग की अनुमति है। जबकि 16 खानों को दो साल से ईआईए से अनुमति का इंतजार है। उन्होंने जिला में माइनिंग पर लगे प्रतिबंध हटाने की मांग की।


रोप-वे से हो सीमेंट ढुलाई


विधायक जगजीवन पाल ने प्रदेश में लगी सीमेंट फैक्टरियों से रोप-वे के माध्यम से सीमेंट ढुलाई का सुझाव दिया। उन्होंने चौपाल और सुंदरनगर में सीमेंट उद्योग का विरोध किया तथा कहा कि सीमेंट के स्थान पर केवल पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देना चाहिए।


बेरोजगारी दूर होगी


विधायक सुरेश कश्यप ने सिरमौर में सीमेंट उद्योग का समर्थन किया और कहा कि इससे जिले में बेरोजगारी की काफी समस्या हल हो जााएगी। उन्होंने कहा कि सीमेंट उद्योग अब प्रदूषण रहित हो चुकी है, विरोध गलत है।


सड़कों की हालत खस्ता


विधायक इंद्रदत लखनपाल ने कहा कि प्रदेश को पर्यावरण की दृष्टि से बचाने की जरूरत है। हिमाचल में सीमेंट के लगभग आधा दर्जन कारखाने हैं, मगर इनका स्थानीय लोगों को कोई लाभ नहीं। इसके विपरीत सड़कों की हालत सीमेंट कंपनियों के कारण अत्यधिक खराब है।


खराब हो रहे फेफड़े


विधायक सोहन लाल ने कहा सरकार को राज्य में लगे सीमेंट उद्योगों पर पुनः विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुंदरनगर में प्रस्तावित सीमेंट उद्योग से महज 150 लोगों को ही सीधा रोजगार मिलेगा। बरमाणा में सीमेंट उद्योग से फेफड़े की बीमारी हो रही है।






source: DivyaHimachal

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