किसका दर्द बांटे, मातम में डूबा हर घर

मनोज ठाकुर, भरमौर


आज बड़ग्रां हादसे को करीब 72 घंटे गुजर चुके हैं। फिर भी पूरे पलाणी गांव में खामोशी छाई हुई है। सन्नाटा इतना बेरहम है कि कोई भी एक-दूसरे का दर्द नहीं बांट पा रहा है। आखिर बांटे भी तो कैसे। यहां कोई घर ऐसा नहीं है कि जहां मातम न मनाया जा रहा हो। पलाणी गांव में 18 परिवार रहते हैं और मरने वाले युवकों में 11 इसी गांव और एक ही वंश के थे।


गांव में किसी एक के घर मातम होता था तो सभी गांव वाले एकजुटता से मातम मनाते थे। हर सुख-दुख में एक-दूसरे के साथ खड़े रहते थे। लेकिन ह



source: Jagran

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