अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो!

रचना गुप्ता, शिमला


मन की पीड़ा कैसी और कितनी होती है..क्या यह कोई बता सकता है? हालांकि वैज्ञानिक शोध बता चुके हैं कि प्रसव पीड़ा सबसे तीखी और गहन होती है। 13 वर्षीय गौरी (परिवर्तित नाम) ने भयंकर प्रसव पीड़ा झेल ली लेकिन मन की पीड़ा अब भी इतनी है कि शब्द छिन गए हैं। अपना बचपन खोकर गौरी के दूसरे जन्म के बावजूद समाज की विकृत मानसिकता में बदलाव नहीं आया। 13 वर्षीय गौरी ने जब वीरवार को एक बच्ची को जन्म दिया तो वह बरबस खामोश हो गई..क्यों? क्योंकि जो दौर उसने देखा अब उसे डर है कि उसकी बेटी के सा



source: Jagran

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