नालागढ़ — केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा गुरुवार को प्रस्तुत किए गए बजट को भाजपा ने इसे निराशाजनक बताया है, वहीं उद्योगपतियों ने इस बजट को मॉडरेट करार दिया है। वर्ष 2013-14 के केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा प्रस्तुत इस बजट पर मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली है। शिमला सीट के एमपी प्रो. वीरेंद्र कश्यप ने केंद्र सरकार के इस बजट को निराशाजनक बताते हुए इसे हर वर्ग की अनदेखी वाला बताया है। उन्होंने कहा कि इस बजट में किसी भी वर्ग को खास लाभ नहीं दिया गया है और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए यह बजट पूरी तरह से निराशाजनक है। उन्होंने इस बजट को पैसे बटोरने वाला बजट करार देते हुए कहा कि हिमाचल के उद्योगों व पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए कुछ भी प्रावधान बजट में नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए भी यह बजट कोई खास सौगात लेकर नहीं आया है, जिससे किसानों को लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि हिमाचल में पर्यटन की अपार संभावनाएं है, लेकिन पर्यटन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 1000 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई, जबकि हिमाचल की अनदेखी हुई है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय योजनाओं के अनुसार 90.10 की रेशों से धनराशि उपलब्ध होती है। कुल मिलाकर बजट हिमाचल के लिए निराशाजनक है। उधर, इस बजट को बीबीएन उद्योग संघ ने मॉडरेट करार देते हुए कहा कि सामान्य बजट उद्योगपतियों के लिए न तो नकारात्मक है और न ही उत्साहजनक है। उन्होंने कहा कि बड़े उद्योगों के लिए कुछ राहत तो मिली है, लेकिन साधारण व छोटी इकाइयों के लिए कोई उम्मीद की किरण इस बजट में नजर नहीं आई। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को पैकेज बढ़ने की बजट में उम्मीद थी, लेकिन औद्योगिक पैकेज न बढ़ने से उद्योगपतियों को निराशा हाथ लगी है। उन्होंने कहा कि उद्योगों के लिए कुछ प्रावधान सही है, लेकिन यदि इन्हें और बढ़ावा दिया जाता तो उद्योग जगत को इसका पूरा-पूरा लाभ मिल सकता था।
source: DivyaHimachal
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