श्रीरेणुकाजी से विदेशी मेहमान रुखसत


श्रीरेणुकाजी —राष्ट्रीय वैटलैंड का दर्जा प्राप्त श्रीरेणुकाजी वैटलैंड में सुदूर देशों से आने वाले प्रवासी परिंदों का मार्च माह के आगमन पर पलायन शुरू हो गया है। प्रत्येक वर्ष चीन, साइबेरिया, तुर्की, कजाकिस्तान, तिब्बत आदि देशों से अत्यधिक ठंड व बर्फबारी के चलते ये विदेशी परिंदे नवंबर, दिसंबर माह में भारतीय वैटलैंड की ओर रुख करते हैं तथा मार्च माह के अंतिम सप्ताह तक यहां मौसम परिवर्तन होने के चलते अपने-अपने वतन को रुखसत हो जाते हैं। विभिन्न किस्मों व स्पीशीज के विदेशी परिंदे जहां चार-पांच माह तक भारतीय वैटलैंड, जिनमें पौंग झील, रिवालसर, रेणुका तथा आसन बैराज आदि हैं, में डेरा डालते हैं, वहीं अद्वितीय किस्म की स्पीशीज पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी होते हैं। वैटलैंड रेणुका में झील के ऊपरी छोर पर इन विदेशी पक्षियों को देखने के लिए पर्यटन पैदल परिक्रमा करते हैं। विभिन्न जैव विविधता के फलस्वरूप विदेशी परिंदों का यहां पोषण होता है। इसके अलावा गिरि नदी व जटौन बैराज पर भी विशेषतया कार्मोरेट पक्षी 100 से 150 के झुंडों में देखने को मिलते हैं। वन्य प्राणी विभाग रेणुका के आरओ शोभराम के अनुसार रेणुका वैटलैंड में इस वर्ष प्रवासी पक्षी फरवरी के दूसरे पखवाड़े तक 370 की संख्या में पहुंचे। इनमें मोलार्ड 14, कुटस 45, इंडियन मोरहेन 265, लार्ज इगरिट दो, स्मॉल इगरिट दो, कार्मोरेट 11, किंगफिशर एक, कॉमन पोचार्ड चार, ग्रे हिरोइन दो, पिनटेल 11, गरवाल दो की संख्या में हैं। हालांकि यहां की जलवायु इन परिंदों के अनुकूल है, मगर गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष विदेशी परिंदों की संख्या में कमी आई है। उक्त परिंदों में इंडियन मोरहेन भारतीय स्पीशीज है, जबकि अन्य विदेशी स्पीशीज हैं। बहरहाल मार्च माह के आगमन के फलस्वरूप इन पक्षियों का पलायन यहां से होना शुरू हो गया है।







source: DivyaHimachal

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