मंडी में बिना जांच बिक रहा मांस


मंडी — शहरी क्षेत्र में लोगों को जांचा परखा हुआ मांस मुहैया हो इसके लिए जिला प्रशासन ने सारे कामकाज की व्यवस्था करने की देखरेख करने का जिम्मा नगर परिषद मंडी के हवाले किया है, लेकिन वर्तमान में नगर परिषद मंडी शहर की जनता के मंसूबों पर खरा नहीं उतर पा रही है। ऐसा ही एक दृष्टांत पशु पालन विभाग के अधिकारियों के साथ घटित हुआ है। मंडी शहर की मीट शॉप का इंस्पेक्शन पशु पालन विभाग के सीनियर वैटरिनरी कर रहे हैं। यही नहीं, इस बात को लेकर मंडी शहर की जनता के मन में संशय बना हुआ है। जहां पर वैटरिनरी चिकित्सकों को नगर परिषद की ओर से दुकानों की इंस्पेक्शन करने के लिए पिछले दो वर्षों से मानदेय मुहैया नहीं हो पाया है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी मीट शॉप का निरीक्षण करना भूल गए हैं। पशु पालन विभाग के अधिकारी आए दिए मीट शॉप में बिकने वाले मीट का निरीक्षण करके जनता को सुपुर्द कर रहे या फिर नहीं, लेकिन नगर परिषद के ढुलमुल रवैये के चलते पशु पालन विभाग के अधिकारियों में गहरा रोष व्याप्त है। यहां बता दें कि 1978 के पैटर्न पर ही मात्र दो सौ रुपए प्रतिमाह के हिसाब से वैटरिनरी चिकित्सकों को मानदेय मुहैया होता आ रहा है, लेकिन पिछले दो वर्षों से वैटरिनरी चिकित्सकों को न तो मानदेय मिला है और न ही उक्त राशि में कोई इजाफा किया है। वर्तमान में मंडी शहर के विभिन्न कोनों पर एक दर्जन के करीब मीट की शॉप है, जहां पर आए दिन क्विंटल के हिसाब से मीट का कारोबार होता है। दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी शायद मीट शॉप का निरीक्षण करना ही भूल गए हैं। नगर परिषद मंडी की कार्यकारी अधिकारी उर्वशी वालिया ने बताया कि मीट शॉप का निरीक्षण करने को दो सौ रुपए प्रतिमाह मानदेय निर्धारित किया गया है। मानदेय की दर नगर परिषद की बैठक में हाउस ने प्रस्ताव पारित करके पास की है। पशु पालन विभाग के वैटरिनरी चिकित्सकों को दर रास न आने के कारण मानदेय जारी करने में विलंब हुआ है। पशुपालन विभाग के उपनिदेशक अनिल कुमार शर्मा ने बताया कि नगर परिषद को वैटरिनरी चिकित्सकों का मानदेय की दर बढ़ाने को दस मर्तबा नोटिस भेजा गया है, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं हुई है। सीनियर वैटरिनरी चिकित्सक डा. विनय कुमार ने बताया कि आए दिन मीट की शॉप का निरीक्षण करना होता है। दो सौ रुपए की राशि महंगाई के इस युग में कम आंकी गई है। यह पैटर्न 1978 से नगर परिषद द्वारा लागू किया गया है, जो कि आज तक वैसे ही कायम रखा हुआ है।







source: DivyaHimachal

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