नाहन — जबरदस्त कंगाली की मार झेल रही नगर परिषद नाहन को कंगाल करने में नगर परिषद के किराएदार अहम भूमिका निभा रहे हैं। हालात यह हैं कि नगर परिषद को आर्थिक बदहाली में अपने कर्मियों को वेतन देने के लाले पड़े हुए हैं, वहीं पेंशनर्ज व कार्यरत कर्मियों के विभिन्न भत्ते भी समय पर नहीं दिए जा रहे हैं। एक आकलन के मुताबिक अभी भी नगर परिषद नाहन के करीब 40 लाख रुपए शहर में किराएदारों के पास फंसे पड़े हैं। इस कारण नगर परिषद आर्थिक बदहाली की मार झेल रही है। हैरानी की बात तो यह है कि इस फेहरिस्त में सरकारी विभाग भी पीछे नहीं है। इसमें सबसे अधिक कर्जदार हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड है। गौर हो कि विद्युत बोर्ड के एक्सईएन कार्यालय व एसडीओ कार्यालय नाहन नगर परिषद के भवनों में चल रहे हैं, परंतु न तो समय-समय पर किराया बढ़ाया जाता है, न ही समय-समय पर किराया नगर परिषद के खाते में जमा होता है। जानकारी के मुताबिक नगर परिषद के विद्युत बोर्ड से करीब 5.25 लाख रुपए किराए के लेने हैं। इसके अलावा करीब 7.26 लाख बतौर हाउस टैक्स वसूलने हैं। यही नहीं करीब दस लाख रुपए की राशि ट्रांसफार्मर के लिए दी गई भूमि की विद्युत बोर्ड से वसूली को है। गौर हो कि नाहन नगर परिषद की करीब 150 दुकानें व गैराज शहर में किराए पर हैं। यदि नगर परिषद को किराया समय पर मिलता रहे तो नगर परिषद की तिजोरी भर सकती है, परंतु सालों से नगर परिषद को किराएदार किराया नहीं दे रहे हैं। गौर हो कि विद्युत बोर्ड को नियम के मुताबिक नगर परिषद के खाते में बतौर इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी चार्जेज के रूप में एक पैसे प्रति यूनिट देना होता है, परंतु यह देनदारी भी काफी समय से लंबित है। जानकारी के मुताबिक नगर परिषद अपनी आर्थिक बदहाली के चलते किराए वसूली को लेकर सख्त कदम उठाने लगी है। इस कड़ी में नगर परिषद ने जहां उपायुक्त के संज्ञान में किराए के लंबित होने का मामला ला दिया है, वहीं विद्युत बोर्ड को भी सूचना भेज दी है। सूत्रों के अनुसार विद्युत बोर्ड भी अपनी बिजली के बिलों की कोई पुरानी वसूली आडिट पैरा में नगर परिषद की और निकाल रहा है, जिस कारण दोनों ओर से लेन-देन पर तकरार बनी हुई है। गौर हो कि विद्युत बोर्ड के अलावा कई अन्य विभागों के पास भी नगर परिषद के भवन व दुकानें तथा गैराज किराए पर हैं, जहां से नगर परिषद ने लाखों रुपए किराए के वसूलने हैं। गौर हो कि नगर परिषद नाहन की करीब 70 से 80 लाख रुपए की हाउस टैक्स की राशि पर भी शहर के लोगों ने कुंडली मारी हुई है। ऐसे में नगर परिषद की बदहाली स्वाभाविक है।
source: DivyaHimachal
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