इसमें सभी जिलों के उप निदेशकों को कहा गया है कि वह केंद्र से आए इन आदेशों की सख्ती से अनुपालना करें। जियो टैगिंग होने से संस्थानों की रियल लोकेशन का पता चल सकेगा। ये संस्थान चल रहे हैं या कागजों में ही है। स्कूल, कॉलेज से लेकर विश्वविद्यालयों पर यह नियम लागू होगा। निदेशालय की तरफ से जारी आदेशों में कहा गया है कि वेरिफिकेशन के दौरान इस तथ्यों को भी गंभीरता से जांचा जाए। इससे पहले केंद्र सरकार छात्रवृत्ति के लिए कई नियम लागू कर चुका है। इसमें पहले शपथ पत्र की शर्त लगाई थी।
उसके बाद छात्रवृत्ति के आवेदन सत्यापित करने वाले अधिकारियों के बायोमेट्रिक आधार प्रमाणीकरण अनिवार्य किया गया था। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने नई व्यवस्था को लेकर वीरवार को सभी निजी और सरकारी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और स्कूलों के प्रभारियों को पत्र जारी किए हैं। छात्रवृत्ति योजनाओं में होने वाले घोटालों से बचने के लिए यह व्यवस्था अपनाई गई है।
राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल पर वही अधिकारी लॉगइन कर सकेगा, जिसका बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण हुआ होगा। भारत सरकार की ओर से अल्पसंख्यक समुदाय के लिए संचालित पोस्ट मैट्रिक, पूर्व मैट्रिक छात्रवृति तथा मैरिट कम मिन्स छात्रवृत्ति योजना के लिए इस व्यवस्था को लागू किया गया है।
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