कोरोना में गिरा बाल मजदूरी का ग्राफ

सिटी रिपोर्टर-शिमला-संक्रमण की वजह से नुकसान की ही खबर अभी तक आती थी। लेकिन अब एक अच्छी खबर भी इस बीच आई है। चाइल्ड लेबर कमेटी की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि शिमला के किसी भी क्षेत्र में अभी तक एक भी चाइल्ड लेबर का मामला नहीं पकड़ा गया है। जबकि हर साल 20 से 25 मामले चाइल्ड लेबर के शिमला में सामने आते थे। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी शिमला से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 में चाइल्ड लेबर के 25 मामले सामने आए थे। वहीं इस साल एक भी मामला सामने नहीं आया है। बता दें कि इस साल कोरोना की वजह से होटल व ढाबों में कार्य करने वाले मजदूर व कर्मचारी बेरोजगार हो गए। ढाबा मालिकों ने सभी मजदूरों को काम से निकाल दिया।

यही वजह है कि इस बाल मजदूरी का एक भी मामला सामने नहीं आया है। हालांकि अब जब दूसरी बार सारी चीजें दूसरी बार खुल गई है, तो चाइल्ड वेल्फेयर कमेटी ने काम करना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि अब कमेटी शहर के उपनगरों पर दौरा करेंगी। वहीं, 18 साल से कम वाले बच्चों को अगर ढाबो या कहीं मजदूरी पर रखा गया है, तो कड़ी कार्रवाई जुर्माना व जेल तक आरोपियों को भेजा जाएगा। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी का दावा है कि अब जब एक बार फिर से होटल ढ़ाबों में कार्य शुरू हो गया है, तो ऐसे में छोटी उम्र के बच्चों को काम पर रखा जा सकता है। कमेटी ने साफ किया है कि अगर किसी ने 18 साल तक के बच्चों को काम पर रखकर उसकी पढ़ाई लिखाई व अन्य सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा, तो ऐसे में उन पर कड़ी सजा का प्रावधान है। बता दें कि 18 साल तक के छात्रों को शिक्षा का अधिकार है। इतने छोटे बच्चों को शिक्षा से वंचित रखने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाती है। अब लॉकडाउन व कोरोनाकाल में छोटे बच्चों पर अत्याचार कम हो रहे हैं। यह बड़ी राहत वाली खबर जरूर चाइल्ड वेलफेयर व दूसरे लोगों के लिए भी अच्छी है। हालांकि बाल मजदूरी के कई मामलों तक चाइल्ड वेलफेयर कमेटी भी नहीं पहुंच पाती है। दरअसल शिमला पर्यटन नगरी है। शिमला के बाजार व क्षेत्र कई किलोमीटर तक फैले होते हैं। इस वजह से कई क्षेत्रों में बाल मजदूरी के मामलों को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी पकड़ ही नहीं पाती है।

The post कोरोना में गिरा बाल मजदूरी का ग्राफ appeared first on Divya Himachal.

Post a Comment