टाउन हाल मामले पर फूटा पार्षदों का गुस्सा

नगर निगम के मासिक हाउस में जमकर हुआ हंगामा, कांग्रेस पार्षदों ने जमीन पर बैठ कर जताया रोष

शिमला –टाउन हाल नगर निगम शिमला  की अपनी प्रॉपटी होने पर भी टाउन हाल पर पूर्ण रूप से उनका हक न होने का पार्षदों ने जमकर विरोध जताया है। कांग्रेस के पार्षदों ने नगर निगम टाउन हाल मामले पर पिछले अढाई सालों से किसी एक निर्णय पर न आने का विरोध किया है। टाउन हाल के मामले को लेकर पार्षदों का मानना है कि  पिछले हाउस में भी महापौर ने भी हामी भरी थी कि टाउन हाल में पार्षदों को भी स्थान मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया, जिस पर कांग्रेसी पार्षदों ने मेयर से सवाल किए। काफी बहसबाजी के बाद तय किया गया कि नगर निगम टाउन हाल को लेकर अगले पांच दिनों में रिव्यू किया जाएगा। उसके बाद इस मामले को दोबारा कोर्ट में ले जाया जा सकता है। निगम का दावा है कि टाउन हाल उसकी संपति है और इस पर कब्जा भी है। वर्तमान में टाउन हाल का मालिकाना हक नगर निगम के पास तो है, लेकिन प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश के बाद निगम इसके एक ही फ्लोर को इस्तेमाल कर सकती है। इस फ्लोर में नगर निगम के मेयर व डिप्टी मेयर के कार्यालय हैं। इस मामले पर पिछले नगर निगम की मासिक बैठक में टाउन हाल के मामले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ। नगर निगम की मेयर सत्या कौंडल ने भी कहा था कि टाउन हाल नगर निगम शिमला की संपत्ति है। इसे हासिल करने के लिए निगम ने प्रदेश हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था, लेकिन कोर्ट से राहत नहीं मिली। ऐसे में अब नगर निगम इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लडे़ंगे। बता दें कि ऐतिहासिक धरोहर टाउन हाल के मालिकाना हक और उपयोग को लेकर मामला प्रदेश हाई कोर्ट में काफी समय तक चला। नगर निगम की याचिका पर हाई कोर्ट ने बीते वर्ष आदेश दिया कि टाउन हाल पर मालिकाना हक नगर निगम शिमला का होगा, लेकिन पूरा भवन नगर निगम के पास नहीं रहेगा। हाई कोर्ट ने टाउन हाल के ग्राउंड फ्लोर और टॉप फ्लोर में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सुविधाएं विकसित करने तथा बीच की मंजिल में निगम को अपना कार्यालय खोलने के आदेश सुनाए थे। कोर्ट के आदेशों के अनुसार टाउन हाल में सिर्फ मेयर और डिप्टी मेयर का कार्यालय ही चल रहा है।

बैठक से उठ कर जमीन पर बैठे पार्षद

नगर निगम के मासिक हाउस में टाउन हाल को लेकर जम कर बहस बाजी हुई, जिसमें सभी पार्षदों ने टाउन हाल पर जल्द से जल्द उचित कदम उठाने की बात कही। पार्षदों का मानना था कि पिछले ढ़ाई सालों से नगर निगम कराए के भवन में बजट और हाउस चला रहा है। जब उनके लिए ही छत्त नहीं है तो वह आम जनता के हकों के लिए क्या लड़ेंगे। सभी पार्षदों ने मांग की है कि इस मामले पर जल्द से जल्द उचित कार्रवाई अमल में लाई  जाए।

बजट भवन के बाहर करना पड़ा इंतजार

नगर निगम का मासिक हाउस व बजट, डीसी ऑफिस के बजट भवन में पेश किया जाता है, लेकिन शुक्रवार को डीसी ऑफिस की बैठकें सुबह दस बजे से बजट भवन में रखी गई थीं। ऐसे में नगर निगम शुक्रवार को पेश होने वाले बजट को सुबह घोषित नहीं कर पाया। ऐसे में यह बजट दोपहर 2 बजे घोषित किया जाना था, लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि जो बजट 2 बजे पेश किया जाना था वह देरी से शुरू हुआ। ऐसे में मजबूरन पार्षदों को बजट भवन के बाहर काफी देर तक इंतजार करना पड़ा। ऐसे में पार्षदों ने इस बात का पूर्ण रूप से विरोध किया।

टाउन हाल का मामला पांच दिनों में होगा रिव्यू

टाउन हाल के मामले को लेकर मासिक हाउस में सभी पाषदों की सहमति से यह तय किया गया कि अगले पांच दिनों में टाउन हाल को लेकर रिव्यू किया जाएगा। पाषदों ने बताया कि नगर निगम को किराए पर बजट भवन में बैठना पड़ता है। साथ ही ई-विधान प्रणाली के लिए निगम के पास कोई स्थान नहीं है। ऐसे में नगर निगम को आखिर कब तक किराए के भवन में ही अपनी अहम बैठकें करनी होंगी। विधि आयुक्त राजेंद्र चौहान को लिया घेरे में टाउन हाल के मामले को लेकर नगर निगम के विधि आयुक्त राजेंद्र चौहान को पाषर्दों ने सवालों के घेरे में रखा है। टाउन हाल को लेकर केस कोर्ट में चला है उसमें राजेंद्र चौहान अहम भूमिका निभा रहे हैं। नगर निगम भी उन पर पूर्ण विश्वास कर टाउन हाल में पुनः अपना अधिकार पाने की आस में था, लेकिन इस बार के मासिक हाउस में पार्षदों के सामने राजेंद्र चौहान टाउन हाल को लेकर अपनी कोई भी दलील सही साबित नहीं कर पाए। हाउस में पास होने के बाद भी टाउन हाल मामले में उचित कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। ऐसे में पार्षदों ने उनसे कड़े सवाल जवाब किए।

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