शिरगुल महाराज के दर्शन को गए थे अर्की के पांच युवक, दो लौटती बार तीसरी में रास्ता भूले
नौहराधार —जिला सिरमौर की सबसे ऊंची चोटी व आराध्य देव शिरगुल महाराज के दर्शन को निकले दो लड़के रास्ता भटक जाने से दो दिन से लापता है । रविवार को जैसे ही श्रद्धलुओं के लापता होने की सूचना मिलते ही प्रशासन के हाथ पांव फूल गए, जिन्हें ढूंढने के लिए नौहराधार से पुलिस के जवान व वन विभाग के कर्मचारी सोमवार सुबह निकले हैं। जानकारी के अनुसार सोलन जिला के अर्की के पांच लड़के 15 जून शनिवार को नौहराधार से चूड़धार के लिए निकलें, उसी शाम को ये पांचों वापस नौहराधार के लिए निकले । करीब 7 बजे यह तीसरी नामक स्थान पर ढाबे में चाय पीने के लिए रुके । चाय पीकर तीन लोग आगे निकले मगर दो लोग भुवनेश्वर व कपिल रुक गए , जब दोनों लड़के नौहराधार नही पहुंचे तो इनके साथियों ने उन्हें फोन करना चाहा मगर नेटवर्क न चलने के कारण उनसे बात नही हो सकी । करीब रात दस बजे इनका फोन इन्हें आया इन्होंने कहा कि हम लोग रास्ता भटक गए है आप लोग कुछ करो फिर ये तीनों रात को ही वापस जंगल की ओर निकल गए जंगल का चप्पा-चप्पा छानने पर इन्हें रात भर व पूरे दिन रविवार को यह दोनों नही मिले फिर इन लोगों ने नौहराधार पुलिस को गुमशदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई । सोमवार सुबह ही पुलिस के जवान व वन कर्मी के लोग इन्हें ढूंढने निकल गए हैं। खबर लिखे जाने तक इन दोनों का कोई पता नहीं लग पाया। बता दें की चूड़धार यात्रा के दौरान कई लोग रास्ता भटक चुके हैं, जिन्हें सर्च आपरेशन द्वारा खोजा गया था
बढ़ती घटनाएं चिंताजनक
चूड़धार के रास्ते पर श्रद्धालुओं के फंसने की बढ़ती घटनाओं को लेकर व्यापार मंडल व स्थानीय लोग काफी चिंतित हो गए है । जब भी इस तरह की घटनाए होती है व्यापार मंडल व स्थानीय लोग सहयोग करते हैं । कई वर्षों से नौहराधार में एक कंट्रोल रूम व सहायता कक्ष स्थापित करने की मांग करते आए हैं । बता दें कि रास्ते से जो श्रद्धालु चूड़धार जाते हैं, उनका कंट्रोल में पंजीकरण किया जाए ।
दो महीने के भीतर तीसरा मामला
16 अप्रैल 2019 को मध्य प्रदेश का एक लड़का व एक लड़की रास्ता भटक गए थे चार दिन तक बर्फीले रास्ते में ये लोग जंगल में भूखे प्यासे रहे फिर उन्हें लोकेशन ट्रेस कर हेलिकाप्टर से रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाला गया, इसी दौरान एक वृद्ध व्यक्ति रूप सिंह का आज तक कोई पता नही चल पाया है । तीन मई को को हरियाणा के 3 श्रद्धालु भी तीसरी से आगे रास्ता भटक गए थे और पूरी रात जंगल में भटकते रहे । इससे पहले 11 नवंबर 2018 को चंडीगढ़ के एक कालेज के 51 छात्र छात्राओं का दल भी रास्ते में भारी बर्फ के कारण तीसरी नामक स्थान में फंसे रहे । इसी तरह श्रुति को शायद कोई नही भूला होगा। दो जुलाई 2018 को अपने मां-बाप से बिछड़ी सात वर्षीय श्रुति का 6 महीने बाद भेड़पालकों को कंकाल ही मिले थे। यही नही, चार वर्ष पहले घुमंतू गुजरों ने एक चार साल के बच्चे को भी खोया है मगर आज तक उनके बच्चे का कोई पता नहीं चल सका। सवाल यह उठता है कि प्रशासनिक रोक के बाबजूद क्यों लोग रात के समय व खराब मौसम में सफर करते हैं ।
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Courtsey: Divya Himachal
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