निजी बस आपरेटरों का आरोप, वैट घटाकर किराए में की कटौती
शिमला —न्यूनतम किराए में कटौती करके सरकार ने निजी बस आपरेटरों और जनता को ठगा है। इसके साथ ही वैट घटाने का भी ड्रामा किया जा रहा है, क्योंकि वैट घटाने के बाद भी डीजल फिर वहीं पहुंच गया है। हिमाचल निजी बस आपरेटर यूनियन ने कहा है कि प्रदेश सरकार ने किराया वृद्धि मामले में बस आपरेटरों और जनता दोनों को छला है। प्रदेशाध्यक्ष राजेश पराशर ने कहा कि डीजल में पांच रुपए की कटौती करने का ढिंढोरा पीटा जा रहा है और न्यूनतम किराया छह से घटाकर पांच रुपए कर दिया। इससे न ही बस आपरेटरों को और न ही जनता को कोई फायदा हुआ। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार हिमाचल में न्यूनतम किराया पांच रुपए ही है। उन्होंने कहा कि जो लोग किराए में कटौती की मांग कर रहे हैं, वे राजनीतिक लोग हैं, उन्होंने कभी बस का सफर नहीं करना है। उन्होंने कहा कि जब कर्मचारी 4-9-14 और पंजाब पैटर्न पर अपनी हर सुविधा चाहते हैं, तो किराए के मामले में विरोध क्यों? उन्होंने कहा कि पंजाब में न्यूनतम किराया 12 रुपए है और हरियाणा में न्यूनतम किराया आठ रुपए है। यदि हिमाचल सरकार ने न्यूनतम किराया में तीन रुपए की वृद्धि की है, तो इससे प्रदेश की जनता पर ज्यादा भार नहीं पड़ेगा। पहली अक्तूबर, 2013 को सरकार ने न्यूनतम किराया पांच रुपए करने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में सरकार ने न्यूनतम किराया कम कर दिया था। इस कारण निजी बस आपरेटरों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और न्यायालय ने सरकार की न्यूनतम किराया पांच करने की घोषणा को जायज ठहराया था। चुनाव के चक्कर में पूर्व सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लागू नहीं किया। प्रदेश में न्यूनतम किराया पांच रुपए पहले से ही है। वर्तमान सरकार ने न्यूनतम किराए में मात्र एक रुपए की ही वृद्धि की है।
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Courtsey: Divya Himachal
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