तीनों आरोपी चंद्र, तेजेंद्र और विक्रांत अपहरण व हत्या के दोषी करार
शिमला— चंद्र शर्मा, तेजेंद्र पाल और विक्रांत को चार साल के मासूम युग के अपहरण व हत्या का दोषी पाया गया है। तीनों ने फिरौती के लिए युग का अपहण किया था और बाद में इसकी हत्या कर दी। जिला एवं सत्र न्यायधीश वीरेंद्र सिंह की अदालत ने सोमवार को यह फैसला सुनवाया। तीनों दोषियों को अदालत 13 अगस्त को सजा सुनाएगी। शिमला के बहुचर्चित युग अपहरण व हत्या मामले में सोमवार को जिला सत्र अदालत ने तीनों आरोपियों को दोषी करार दिया। अदालत ने चंद्र शर्मा, तेजेंद्र पाल और विक्रांत बख्शी को आईपीसी की धारा 302, 364, 347 और 201 के तहत दोषी पाया है। तीनों को युग की हत्या, अपहरण, सबूत नष्ट करने का दोषी पाया गया है। इससे पहले तीनों आरोपियों को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया गया। इस पूरे मामले में 105 से गवाहों के बयान दर्ज किए गए। सोमवार को अदालत ने इस पर अपना फैसला सुना दिया। इस दौरान युग के पिता विनोद गुप्ता भी अदालत में मौजूद थे। अदालत का फैसला आने पर वह फैसले से संतुष्ट दिखे। परिजनों ने इच्छा जाहिर की है कि तीनों दोषियों को मौत की सजा मिलनी चाहिए। मासूम युग का अपहरण 14 जून, 2014 को रामबाजार में उसके घर के समीप से किया गया था। युग का अपहरण फिरौती के मकसद से किया गया, लेकिन इसमें कामयाब न होने पर मासूम को मौत के घाट उतार दिया गया। अपहरण व हत्या के दोषी तीन आरोपियों में से दो युग के पिता के पड़ोसी थे और दोनों की रामबाजार में दुकान है। एक दोषी चंद्र शर्मा का घर उसी भवन की चौथी मंजिल पर था, जिसमें युग के परिजन रहते थे। बच्चा अक्सर ऊपरी मंजिल पर खेलने जाता था, जहां से उसका अपहरण किया गया। मासूम के गायब हो जाने पर परिजनों ने बच्चे की खोजबीन की, लेकिन वह कहीं नहीं मिला। इस पर परिजनों की ओर से पुलिस थाना सदर में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने तीन माह तक युग केस की जांच की, लेकिन युग की गुमशुदगी की गुत्थी अनसुलझी रह गई। इसके बाद राज्य सरकार ने 14 अगस्त को इस मामले को सीआईडी को सौंपा दिया। इसी बीच युग के परिजनों को फिरौती के लिए पत्र लिखे गए, जिसमें करोड़ों की मांग की गई, लेकिन इनको कौन भेज रहा था, इसका पता नहीं चल पाया। सीआईडी ने केस की बड़ी शिद्दत से हर पहलू की जांच की और करीब दो साल बाद अगस्त 2016 को पहली गिरफ्तारी विक्रांत बख्शी के तौर पर की गई। विक्रांत बख्शी की निशानदेही पर 22 अगस्त, 2016 को मासूम युग का भराड़ी पेयजल टैंक से कंकाल बरामद किया गया। इसके साथ ही सीआईडी ने दो अन्य आरोपियों चंद्र शर्मा और तेजेंद्रपाल को भी गिरफ्तार किया। सीआईडी को कंकाल की कुछ हड्डियां टैंक के बाहर से मिलीं और साथ में एक बड़ा बड़ा पत्थर भी बरामद किया गया, जिससे बांधकर युग को टैंक में फेंका गया था। सीआईडी ने टैंक से मिले कंकाल की फोरेंसिक जांच करवाई, जिसमें कंकाल के युग के होने की पुष्टि हुई। जांच एजेंसी सीआईडी ने इस मामले में 25 अक्तूबर, 2016 को आरोपियों के खिलाफ जिला एवं सत्र अदालत में करीब 2300 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें चंद्र शर्मा, तेजेंद्र पाल और विक्रांत बख्शी को हत्या, अपहरण का आरोपी बनाया गया था।
युग हत्याकांड
14 जून, 2014 को हुआ था युग का अपहरण, फिरौती न मिलने पर हत्या
14 अगस्त, 2014 को सरकार ने मामला सीआईडी को सौंपा
अगस्त 2016 में मामले में विक्रांत बख्शी के रूप में पहली गिरफ्तारी हुई
22 अगस्त, 2016 को दो अन्य आरोपी चंद्र शर्मा-तेजेंद्रपाल भी धरे
25 अक्तूबर, 2016 को 2300 पन्नों की चार्जशीट दाखिल
20 फरवरी, 2017 को जिला एवं सत्र अदालत में शुरू हुआ ट्रायल
छह अगस्त, 2018 को अदालत ने तीनों आरोपियों को ठहराया दोषी
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Courtsey: Divya Himachal
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