रामपुर बुशहर — सात दिन बाद भी पलजारा स्कूल बच्चों के बिना सूना है। शिक्षकों की कमी झेल रहे स्कूली बच्चों ने तब तक स्कूल न जाने का फैसला लिया है, जब तक इस स्कूल में अहम विषयों के शिक्षक तैनात नहीं हो जाते, लेकिन छात्रों के स्कूल न जाने के निर्णय की कोई सुध नहीं ले रहा है। अभिभावकों का कहना है कि सात दिन बीत गए हैं लेकिन न तो सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक रवैया सामने आया है और न ही प्रशासन ने इस मामले को सुलझाने में कोई दिलचस्पी दिखाई है। ऐसे में अभिभावकों में खासा रोष है। गौरतलब है कि रामपुर की बाहली पंचायत के पलजारा स्कूल में दस से अधिक शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। ऐसे में हर दिन बच्चे स्कूल तो पहुुंचते हैं, लेकिन शिक्षक न होने से कक्षाओं में खाली बैठे रहते हैं। ऐसे में अभिभावकों ने सरकार और शिक्षा विभाग की अनदेखी से चलते बच्चों को स्कूल न भेजने का कड़ा फैसला लिया है। अभिभावकों का कहना है कि पिछले चार वर्षों से अहम विषयों के अध्यापकों के पद रिक्त पड़े हैं। स्कूल के बच्चों ने एसएमसी अध्यक्ष को पत्र भेजकर स्कूल न आने को कहा है और स्कूल में जल्द शिक्षकों की तैनाती की मांग उठाई है। एसएमसी के अध्यक्ष का कहना है कि रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार और शिक्षा विभाग से कई बार पंचायत नुमाइंदों सहित गुहार लगाई गई, लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। अभिभावक किरण प्रभा, रामकृष्ण, सार चंद, दलीप सिंह, सुषमा देवी, नानक चंद, गुमती देवी, सत्या देवी, पूनम शर्मा, चंद्रमणि, सुनीता, अंजू, प्रमोद, सूरज सिंह मेहता, मूलक राज, भाऊ राम, लीलावती, जीना देवी, पृथ्वी राम, देसराज, शीला देवी सहित अन्य अभिभावकों ने चेताया है कि शिक्षकों की जल्द भर्ती नहीं की गई तो वह आंदोलन को मजबूर हो जाएंगे।
ये पद पड़े हैं रिक्त
चार वर्षों से टीजीटी आर्ट्स, टीजीटी नॉन मेडिकल, टीजीटी मेडिकल, भाषा अध्यापक, कला अध्यापक, पीईटी, कम्प्यूटर शिक्षक, क्लर्क और कुछ माह से हैडमास्टर के पद रिक्त पड़े हैं।
सनाथली में एक छात्र को पढ़ा रहे चार शिक्षक
इसी ही ब्लॉक में एक स्कूल में शिक्षक न होने से छात्रों ने स्कूल का बहिष्कार कर दिया और इसी ब्लॉक में एक ऐसा भी स्कूल है, जहां पर एक छात्र को चार-चार शिक्षक पढ़ा रहे हैं। राजकीय माध्यमिक पाठशाला सनाथली में छठी से आठवीं तक केवल मात्र एक ही छात्र है। ऐसे में यहां पर स्थिति पलजारा स्कूल से बिलकुल उलट है। यहां पर दिन भर शिक्षकों को समझ नहीं आता कि वह क्या करें।
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