चित्र सहित
-गरीबी आकलन के तरीके पर उठे सवाल
-27 रुपये दैनिक में कैसे हो सकता है गुजारा
नीरज पराशर, ऊना
सरकारी आंकड़ों की बाजीगरी से दूर चिंतपूर्णी के डूहल भटवालां गांव का काहडू राम आज भी 160 रुपये की दिहाड़ी लगाने के लिए जब घर से निकला तो शायद उसे यह पता नहीं था कि अब उसका परिवार सरकार की नजर में गरीबी रेखा से ऊपर आ चुका है।
यह अलग बात है कि चार सदस्यों के परिवार में इकलौता कमाने वाले काहडू राम काफी समय से कर्ज के बोझ तले दबा है। आज भी वह घर के लिए राशन
source: Jagran
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