शिमला – भाजपा कार्यकाल के समय में मनी लांड्रिंग व बेनामी भू-सौदों को लेकर राजनेताओं के फोन टैप किए गए थे। नवंबर 2011 से 2012 तक सीआईडी ने 200 से अधिक फोन अवैध रूप से टैप किए। इतना ही नहीं कुछ रसूखदार लोगों के फोन तो छह माह तक टैप किए जाते रहे। फोन टैपिंग से जुड़ी 70 हजार से अधिक फाइलें हैं। यही नहीं, टैपिंग से जुड़े रिकार्ड को नष्ट करने में भी मनमानी की गई, तो वहीं फोन टैप करने के लिए इंडियन टेलीग्राफ एक्ट की भी धज्जियां उड़ाई गईं। यह खुलासा विजिलेंस द्वारा तैयार की गई फोन टैपिंग प्रकरण की जांच रिपोर्ट से हुआ है। विजीलेंस के एडीजीपी पृथ्वी राज ने सोमवार को फोन टैपिंग की जांच रिपोर्ट प्रधान, सचिव गृह तरुण श्रीधर को सौंप दी है, जिसमें फोन टैपिंग में दो पूर्व डीजीपी, दो आईजी व एक इंस्पेक्टर की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। सूत्रों का दावा है कि विजिलेंस ने अपनी जांच रिपोर्ट में इन अधिकारियों पर सरकार से भी मामला दर्ज करने की अनुमति मांगी है। विजिलेंस का कहना है कि फोन टैपिंग प्रकरण में मामला दर्ज करने के बाद जिन भी अधिकारियों की संलिप्तता सामने आएगी, उनके खिलाफ मामले दर्ज किए जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि फोन टैपिंग में इंडियन टेलीग्राफ एक्ट व आईटी एक्ट का उल्लंघन किया गया। रिकार्ड छह माह के भीतर नष्ट नहीं किया गया। बताते हैं कि कुछ फोन तो नोडल एजेंसी की बिना अनुमति के भी टैप किए गए। सूत्रों का कहना है कि नवंबर 2011 से दिसंबर 2012 तक की अवधि का रिकार्ड गृह विभाग ने विजिलेंस को दिया था और इस रिकार्ड की छानबीन पर ही यह तथ्य उजागर हुए हैं। इससे पहले कितने फोन टैप किए गए इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के बाद आगामी जांच करने पर ही पता चल पाएगा।
source: DivyaHimachal
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