न स्टाफ; न अफसर, फिर कैसे चले दफ्तर


बिलासपुर — न ही स्टाफ पूरा है और न ही अफसर। यह हाल है बिलासपुर जिला के घुमारवीं में स्थित रेशम पालन विभाग के मंडलीय कार्यालय का। स्टाफ के जबरदस्त अभाव के चलते प्रस्तावित और मंजूर योजनाएं अधर में लटक गई हैं। हालांकि इस बार बिलासपुर मंडल ने 58 हजार किलोग्राम कोकून उत्पादन कर पूरे हिमाचल में एक रिकार्ड कायम कर लिया है, लेकिन स्टाफ की किल्लत के कारण कोकून पालकों को केंद्र व राज्य सरकारों की योजनाओं से लाभान्वित करने के लिए छेड़ी गई मुहिम भी सिरे नहीं चढ़ पा रही है। जानकारी के मुताबिक रेशम पालन विभाग के मंडलीय कार्यालय के अधीन बिलासपुर, सिरमौर और सोलन जिला आते हैं। विडंबना यह है कि इस कार्यालय में मंडलीय अधिकारी के अलावा महज एक सीनियर असिस्टेंट है, जबकि रेशम विकास अधिकारी, वरिष्ठ रेशम निरीक्षक और क्लकर्ोें के दो पद पिछले तीन सालों से रिक्त चल रहे हैं। हालांकि जिला भर में कार्यरत 13 रेशम केंद्रों की देखरेख का जिम्मा 11 इंस्पेक्टर संभाले हुए हैं, लेकिन मंडलीय कार्यालय में स्टाफ व अफसरों की कमी के कारण मुश्किलें दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। यदि मंडलीय अधिकारी कहीं निरीक्षण, टूअर या फिर शिमला में बैठकों में भाग लेने के लिए जाते हैं तो नौबत तालाबंदी की आ जाती है। राहत भरी बात यह है कि इस बार बिलासपुर मंडल ने 58 हजार किलोग्राम कोकून की पैदावार से एक करोड़ रुपए से भी अधिक कारोबार कर पूरे प्रदेश में एक रिकार्ड बना लिया है। अकेले बिलासपुर जिला में ही 56 हजार किलोग्राम पैदावार हुई है। ऐसे में साल दर साल बढ़ रहे कोकून पालकों के आंकड़े के मददेनजर उन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारियां देने के लिए जागरूकता शिविरों का आयोजन करने के साथ ही अन्य कामकाज निपटाने में विभाग के हाथ खड़े हो गए हैं। स्टाफ की कमी से केंद्रीय व राज्य स्तरीय योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचाने में भी दिक्कतें पेश आ रही हैं। शहतूत पौधरोपण कार्यक्रम के साथ ही कोकूनपालन के लिए शैड बनाने को लेकर भी सरकार आर्थिक लाभ प्रदान कर रही है, लेकिन लोगों को इन योजनाओं से लाभान्वित करने के लिए उचित स्टाफ व सुविधाएं चाहिए। मगर विभाग के मंडलीय कार्यालय में इस समय मंडलीय अधिकारी के साथ मात्र एक सीनियर असिस्टेंट भारी कामकाज का जिम्मा संभाले हुए है। काम के अत्यधिक बोझ के कारण अफसर व सीनियर असिस्टेंट भी मानसिक रूप से परेशानी की मार झेलने के लिए विवश हैं।







source: DivyaHimachal

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