सुंदरनगर — प्रदेश की 990 मेगावाट की महत्त्वकांशी ब्यास-सतलुज संपर्क जल विद्युत परियोजना के सलापड़ स्थित डैहर पावर हाउस के भविष्य पर खतरे के बादल मंडराने शरू हो गए हैं। गौर रहे कि डैहर पावर हाउस में विद्युत उत्पादन चरम सीमा पर गर्मी व बरसात के मौसम में किया जाता है। अन्य महीनों में पानी की कमी के चलते बहुत ही कम उत्पादन हो पाता है। इसका मुख्य कारण परियोजना की सुंदरनगर स्थित कृत्रिम झील में भारी मात्रा में सिल्ट का भर जाना है। उल्लेखनीय है कि सिल्ट समस्या इस परियोजना के साथ-साथ प्रदेश की बेहद उपजाऊ व बल्ह घाटी के लिए भी अभिशाप साबित हुई है। लोगों ने इस समस्या को माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष उठाया और उच्च न्यायालय ने भी बीबीएमबी को आदेश दिए कि सिल्ट बरसात के तीन महीने ही सुकेती खड्ड में डाली जाए। सूत्रों का कहना है कि सिल्ट पानी के साथ जाकर पावर हाउस की टरवाइन से टकराएगी और उसको भारी नुकसान पहुंचाएगी। बहरहाल प्रबंधन ने पानी के साथ जो सिल्ट भेजने का निर्णय लिया है, वह बेहद घातक है।
source: DivyaHimachal
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