कांगड़ा — डीएवी कालेज कांगड़ा के प्राध्यापक अपनी मांगों को लेकर प्रबंधन कमेटी के खिलाफ धरने पर हैं। हालांकि आंदोलनरत प्राध्यापक पिछले 52 दिनों से गांधीगिरी तरीके से शांतिपूर्ण ढंग से अपना धरना जारी रखे जुए हैं, लेकिन समझा जाता है कि आने वाले दिनों में प्राध्यापक गांधीगिरी छोड़ अपने तीखे तेवर दिखाने को भी विवश हो सकते हैं। बताया जाता है कि गैर सरकारी कालेज लेक्चरर एसोसिएशन ने सोमवार को कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है, जिसमें आगामी रणनीति तय की जाएगी। एसोसिएशन के कांगड़ा इकाई के प्रधान कपिल वैध ने स्वीकार किया कि प्राध्यापकों को कड़े कदम उठाने पर विवश होना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि फिलहाल प्राध्यापक रोजाना सुबह 11 से 12 बजे तक कालेज के बाहर धरना दे रहे हैं, जबकि कालेज का कामकाज सुचारू रूप से चला है। धरने का क्रम छुट्टियों के दौरान भी जारी है। पिछली धूमल सरकार ने 31 मार्च, 2008 को ग्रांट इन एड को फ्री कर दिया था, तब से प्राध्यापकों को 12 फीसदी एडीए ही मिल पा रहा है, जबकि मौजूदा समय में यह एडीए 72 प्रतिशत बनता है। श्री वैध कहते हैं कि इस दायरे में आने वाले अन्य संस्थान जब 72 प्रतिशत एडीए प्राध्यापकों को मुहैया करवा रहे हैं, वहीं डीएवी प्रबंधन कमेटी नई दिल्ली क्यों नकारात्मक रुख अख्तियार कर रही है। दूसरा मेडिकल और हाउस रेंट भत्तों की वृद्धि जैसी मांगों पर भी प्रबंधन कमेटी का रवैया उदासीन है। इस बारे डीएवी कालेज के प्राचार्य डा. वरिंद्र भाटिया का कहना था कि डीएवी प्रबंधन कमेटी दिल्ली के जो भी आदेश होंगे, उन्हें लागू किया जाएगा। श्री भाटिया का कहना है कि क्योंकि यह ममला वित्तीय लाभ से जुड़ा है इसलिए यह स्थानीय स्तर पर नहीं निपटाया जा सकता।
source: DivyaHimachal
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