रजनीश हिमालयन, मंडी
कभी मेरे आंचल तले बैठ कर बच्चो तुम किताबें पढ़ते थे। आज हालत ऐसी है कि मेरा वजूद कभी भी मिट सकता है और तब तुम मुझे किताबों में ही पढ़ पाओगे।
मेरे आंचल में शिक्षा ग्रहण करके कई बच्चे डॉक्टर बने तो कुछ सेना में प्रमुख पदों पर विराजमान हुए। मेरी छत के नीचे पढ़ाई कर कई बच्चे राजनेता, स्वतंत्रता सेनानी, इंजीनियर, वैज्ञानिक व प्रशासनिक अधिकारी बनकर चमके। इसके विपरीत मेरी चमक साल दर साल फीकी होती गई। कुछ वर्ष पहले मेरी छत पर लगाए गए स्लेट बदल कर टीन लगा दी गई। मुझ
source: Jagran
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