आवारा पशुओं ने तोड़ी कमर


पालमपुर — प्रदेश के विभिन्न जिलों के किसानों को वैसे तो अलग-अलग किस्म की अनेक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है, पर एक समस्या ऐसी है, जिससे हर जिला के किसान परेशान हैं। यह समस्या है बेसहारा छोड़े जा रहे पशुओं की, जिसने हर जिला में किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ा दी हैं। पालमपुर में आयोजित किए जा रहे दो दिवसीय किसान मेले में विभिन्न जिलों से भाग लेने आए किसानों के लिए बेसहारा पशु सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने आए हैं। किसानों की यह परेशानी सरकार व अधिकारियों की नजर में भी है, पर इसका कोई उचित समाधान न निकाले जाने से किसान वर्ग में रोष भी पैदा हो रहा है। किसान मानते हैं कि कृषि विवि ने जो नई किस्में विकसित की हैं, उसके अच्छे परिणाम आ रहे हैं, पर अनेक जगह से यह बात सामने आ रही है कि बढि़या किस्म के अनुमोदित, सुधरी व हाईब्रिड किस्म के बीज किसानों को पूरी मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। बेसहारा जानवरों के साथ अधिकतर जिलों खासकर जिला कांगड़ा के किसान फ्रूट फ्लाई की समस्या से भी परेशान हैं। किसान मेले में भाग लेने आए किसान लगातार कम होती जा रही खेती योग्य भूमि को भी चिंता का विषय मान रहे हैं। वहीं अनेक जिलों में पानी एकत्रित करने के संसाधनों की कमी भी बड़ी समस्या के तौर पर सामने आ रही है। लगातार परिवर्तित हो रहे मौसम के अनुसार नई किस्मों की उपलब्धता को किसान वर्ग आज के दौर में आवश्यक मान रहा है। किसान मेले में शिरकत करने पहुंचे प्रदेश कृषि विभाग के निदेशक डा. जेसी राणा ने भी अपने संबोधन में किसानों व वैज्ञानिकों को मौसम परिवर्तन, कम हो रही खेती योग्य भूमि और पशुओं द्वारा फसलों को पहुंचाए जा रहे नुकसान पर ध्यान देने की बात कही। उन्होंने विभिन्न केंद्रों में तैनात अधिकारियों व वैज्ञानिकों के साथ मिलकर योजनात्मक रूप से इन समस्याओं का हल निकालने का आह्वान किसान वर्ग से किया।







source: DivyaHimachal

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