बिजली की किल्लत से तो सारा हिंदोस्तान जूझ रहा है, पर अब इसका भी तोड़ निकाल दिया गया है। छत्तीसगढ़ के एक व्यक्ति ने एक ऐसी लालटेन बनाई है, जिसकी बैटरी को बिजली से चार्ज करने की जरूरत भी नहीं पड़ती है। बैटरी में एसिड की जगह गोमूत्र का इस्तेमाल होता है। बैटरी लो होने पर बिजली से चार्ज करने के बजाय गोमूत्र बदलने से ही लालटेन में लगी 12 वोल्ट की बैटरी फुल चार्ज हो जाएगी और लालटेन जलने लगेगा। ग्रामीणों के लिए बेहद उपयोगी इस लालटेन और बैटरी को ईजाद किया है, कामधेनु पंचगव्य एवं अनुसंधान संस्थान अंजोरा के निदेशक डा. पीएल चौधरी ने। बैटरी की गुणवत्ता पर नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ रायपुर ने भी अपनी मुहर लगा दी है। बताया जाता है कि इस बैट्री में 500 ग्राम गोमूत्र का उपयोग कर 400 घंटे तक तीन वाट के एलईडी (लेड) बल्ब से भरपूर रोशनी प्राप्त की जा सकती है। बैटरी बनाने वाले चौधरी के इस मॉडल को प्रदेश के मुख्यमंत्री के समक्ष भी प्रदर्शित किया गया है। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए इसे प्रदेश पंचगव्य संस्थान के लिए बड़ी उपलब्धि बताया। डा. चौधरी बताते हैं कि इस लालटेन में बैटरी के भीतर डाले जाने वाली एसिड की जगह गोमूत्र डाला गया। इसमें किसी भी प्रकार का कोई केमिकल नहीं मिलाया गया है, न ही बैटरी में कोई बदलाव किया गया है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि बैटरी सिर्फ देसी गाय के गोमूत्र से ही चलेगी। इसे मोटरसाइकिल की पुरानी बैटरी को विकसित कर तैयार किया गया है। लालटेन में जब बल्ब की रोशनी कम होने लगती है तो बैटरी में गोमूत्र को बदलना होता है। यह चमत्कारी प्रयोग है, जो जनजातीय या अन्य इलाकों में जहां बिजली की कमी होती है, उन क्षेत्रों में काफी उपयोगी साबित होगा।
source: DivyaHimachal
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