प्रदेश में 162 डिस्पेंसरियां बिना डाक्टरों के


शिमला — प्रदेश में आयुर्वेदिक औषधालय तो खुल गए हैं, लेकिन डाक्टरों की कमी को प्रदेश सरकार अभी तक पूरा नहीं कर पाई है। अभी तक 162 डिस्पेंसरियां बिना डाक्टर के चल रही हैं। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। डाक्टरों के न होने से मरीजों को समय पर इलाज की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। दूसरी ओर जहां डाक्टर की कमी है, वहीं 400 डिस्पेंसरियां बिना फार्मासिस्टों के चल रही हैं।प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में आयुर्वेदिक औषधालय तो खुल गए हैं, लेकिन स्टाफ की कमी आज तक पूरी नहीं हो पाई है। जिससे कई औषधालय ग्रामीण क्षेत्रों में दो ही दिन खुलते हैं। अभी तक आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियां ऐसी हैं, जहां प्रतिनियुक्ति के आधार पर डाक्टरों की नियुक्तियां की गई हैं। रोजाना मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है, लेकिन स्टाफ की कमी आज तक सरकार द्वारा पूरी नहीं हो पाई है। प्रदेश में 1160 से अधिक आयुर्वेदिक छोटे-बड़े स्वास्थ्य केंद्र खुले हैं, लेकिन इन केंद्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा गई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मरीज इलाज के लिए डिस्पेंसरियों के चक्कर लगा रहे हैं और वहां से निराश होकर लौट रहे हैं। प्रदेश में जहां आयुर्वेदिक डिस्पेंसरियों के लिए सरकार के पास एक तरफ सरकारी भवन नहीं हैं, जिससे लाखों रुपए हर वर्ष किराए पर खर्च हो रहे हैं। बावजूद इसके स्टाफ की किल्लत आजतक पूरी नहीं कर पाई है।







source: DivyaHimachal

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