मां का दूध बच्चों के लिए अमृत

नादौन-बड़ा — स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग खंड नादौन के सौजन्य से राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जागरूकता अभियान की कड़ी में स्वास्थ्य उपकेंद्र झलाण में एक विजनिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया, जिसमें उपस्थित लोगों को राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के कार्यक्रमों व स्वाइन फ्लू, क्षयरोग, कैंसर, मलेरिया, डेंगू तथा स्तनपान आदि के बारे में विस्तृत जानकारी खंड चिकित्साधिकारी डा.अशोक कौशल व खंड स्वास्थ्य शिक्षक राम प्रसाद शर्मा द्वारा संयुक्त रूप से दी गई। उन्होंने स्तनपान के बारे में जानकारी देते हुए उपस्थित लोगों को बताया कि आज भी लगभग 40 लाख बच्चे पैदा होने के एक माह के भीतर मर जाते हैं, परंतु अगर प्रसव के एक घंटे के अंदर स्तनपान शुरू करवा दिया जाए, तो लगभग 10 लाख शिशु बच सकते हैं, उन्होंने बताया कि भगवान सब जगह नहीं हो सकते, इसलिए उन्होंने मां को बनाया। प्रेम और ममता के बंधन की शुरुआत होती है स्तनपान से। स्तनपान माता द्वारा अपने शिशु के लिए की जाने वाली अत्यंत कुदरती एवं लाभदायक क्रिया है तथा नवप्रसूताओं द्वारा नवजात शिशु को अधिक से अधिक स्तनपान कराना चाहिए। जन्म के समय निकलने वाला पहला पीला गाढ़ा दूध अमृत के समान होता है। बच्चों को इससे वंचित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि जन्म से मां का दूध पीने वाले बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता दूध नहीं पीने वाले बच्चों से कहीं अधिक होती है। पांचवें से छठे माह के लगने पर बच्चे को मांग के दूध के साथ-साथ आसानी से पचने वाले घरेलू भोजन जैसे गाढ़ी घुटी हुई दाल, खिचडी, दलिया, मसला हुआ केला तथा उबला हुआ आलू देना शुरू कर देना चाहिए। मां का दूध दो वर्ष तक की आयु तक चलता रहना चाहिए इससे बच्चे का शारीरिक व मानसिक तथा मनोवैज्ञानिक विकास बहुत अच्छा होता है।






source: DivyaHimachal

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