एंटी हेलगन का वैज्ञानिक आधार नहीं

शिमला — एंटी हेलगन के मुद्दे पर सोमवार को सदन में सत्तापक्ष व विपक्ष के बीच हल्की नोकझोंक देखने को मिली। प्रश्नकाल के दौरान प्रतिपक्ष के नेता प्रो. धूमल द्वारा उठाए गए सवाल पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि एंटी हेलगन पर 18वीं व 19वीं शताब्दी में कार्य हुआ, मगर इसके प्रयोग असफल रहे, इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं रह गया है। इससे पूर्व बागबानी मंत्री विद्या स्टोक्स ने विधायक सुरेश भारद्वाज के सवाल पर कहा कि हालांकि 80 फीसदी बागबान एंटी हेलगन के विरोध में हैं, बावजूद इसके मौजूदा सरकार इस वर्ष इसका ट्रायल करेगी। विद्या स्टोक्स ने कहा कि एंटी हेलगन जहां स्थापित की गई है, वहां से ओलावृष्टि का दायरा साथ लगते क्षेत्र में शिफ्ट होने लगा है। विद्या स्टोक्स ने कहा कि एंटी हेलगन का प्रयोग यूरोपीय देशों में बंद किया जा चुका है, क्योंकि इसका पर्यावरण पर भी दुष्प्रभाव पड़ा है। प्रतिपक्ष के नेता प्रो. धूमल ने बागबानी मंत्री के जवाब के विरोध में कहा कि यह योजना केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित है, इसे बागबानों के नजरिए से देखना चाहिए, न कि राजनीतिक दृष्टि से। मौजूदा सरकार को चाहिए कि इसे पूरे प्रदेश में लगाने पर विचार करे। ऐसी बागबान मित्र योजना का विरोध नहीं, इसे और आगे बढ़ाया जाना चाहिए। इससे पूर्व विधायक गोबिंद ठाकुर ने मांग की कि कुल्लू में भी एंटी हेलगन स्थापित की जानी चाहिए। जिस पर बागबानी मंत्री ने कहा कि पहले से एंटी हेलगन स्थापित की गई हैं, वहां फिर से ट्रायल करने के बाद ही आगे देखा जाएगा। उन्होंने कहा कि एंटी हेलगन के परिणाम अस्पष्ट हैं और आम लोगों के विचार संदेहास्पद।






source: DivyaHimachal

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