एनएचपीसी में प्रोमोशन रद्द


शिमला — प्रदेश उच्च न्यायालय ने एनएचपीसी में दी गई उन पदोन्नतियों को निरस्त कर दिया, जिसके तहत कनिष्ठ अभियंताओं को सहायक अभियंता के पद पर पदोन्नत किया गया था। ये आदेश न्यायाधीश राजीव शर्मा ने दो याचिकाओं की सुनवाई के दौरान पारित किए। रविंद्र नाथ व ज्योति कुंज गौड़ ने पदोन्नति आदेशों को यह कहकर चुनौती दी थी कि वे लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे और उन्हें साक्षात्कार के लिए भी बुलाया गया था। 23 सहायक अभियंताओं के पदों को भरने के लिए उनके नाम की भी डीपीसी द्वारा सिफारिश की गई थी। मगर रिक्त पद न होने का कारण देते हुए उन्हें सहायक अभियंता के पद पर पदोन्नति नहीं दी गई। प्रार्थियों ने 19 मई, 2011 को पदोन्नति देने हेतु सक्षम अधिकारी के समक्ष प्रतिवेदन किया था मगर प्रार्थियों द्वारा किए गए प्रतिवदेन को सक्षम अधिकारी ने रद्द कर दिया था। याचिकाओं में यह दलील दी गई थी कि आरक्षित वर्ग के लिए रखी गई सीटों के लिए जो दायरा रखा गया था वह कानून के दायरे से बाहर था। न्यायालय में भी प्रार्थियों की दलीलों से सहमति जताते हुए कहा कि कुछ कनिष्ठ अभियंताओं को बतौर सहायक अभियंता पदोन्नति देते समय प्रार्थियों को नजर अंदाज किया गया है। न्यायालय ने उपरोक्त प्रतिवादियों को पदोन्नतियों को गलत पाते हुए उनके संबंध में जारी पदोन्नति आदेशों को रद्द कर दिया और प्रार्थियों को बतौर सहायक अभियंता पदोन्नत करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया। पदोन्नति पर मिलने वाले सेवा लाभों को भी अदा करने के आदेश दिए हैं।







source: DivyaHimachal

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