कोटबेजा — पंचायतों में चल रहे विकास कार्यों के लिए भले ही सरकार सस्ते दामों पर सीमेंट उपलब्ध करवा रही हो, लेकिन रेत न मिलने के कारण पंचायतों में चल रहे विकास कार्यों पर ग्रहण लग गया है। रेत की कमी व रेत पर प्रतिबंध के कारण मनरेगा जैसी योजनाओं की रफ्तार भी काफी कम हुई है। रेत की कमी से पंचायत प्रतिनिधियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार को इस मामले में पंचायत की समस्या का समाधान करना चाहिए, ताकि विकास की गति कम न हो। जानकारी के अनुसार पंचायतों में मनरेगा, सांसद, विधायक, जिला परिषद, बीडीसी आदि निधियों से करोड़ों रुपए पंचायतों के विकास कार्यों के लिए मंजूर किए जाते हैं, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रखे विकास के लक्ष्य को पूरा किया जा सके, लेकिन पंचायतों को रेत नहीं मिल पा रही है। रेत न मिलने के कारण पंचायतों में विकास कार्य ठप पड़े हैं, ऐसे में पंचायत प्रतिनिधियों की समस्या बढ़ती जा रही है। ग्राम पंचायत भागुड़ी के प्रधान बलदेव सिंह, जगजीतनगर पंचायत प्रधान गोपाल ठाकुर, गनोल पंचायत के प्रधान देवेंद्र कंवर, कोटबेजा पंचायत प्रधान रविंद्र शर्मा, चंडी पंचायत के उपप्रधान बलवंत ठाकुर व उपप्रधान एसोसिएशन के विकास खंड प्रधान मनमोहन शर्मा ने बताया कि रेत न मिलने से विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। पंचायत प्रतिनिधियों ने बताया कि सरकार पंचायतों को सस्ता सीमेंट तो उपलब्ध करवा रही है, लेकिन रेत कहां से लाएं, यह एक समस्या है। पंचायत प्रतिनिधियों ने बताया कि बिना रेत के कोई भी निर्माण कार्य नहीं हो सकता। पंचायत प्रधानों ने सरकार से मांग की है कि सरकार पंचायतों को जिस तरह सस्ते दामों पर सीमेंट उपलब्ध करवा रही है, उसी तरह रेत भी उपलब्ध करवाई जाए, ताकि विकास कार्य समय पर पूरे हो सकें। उधर, इस विषय में बीडीओ धर्मपुर विवेक शर्मा ने माना कि रेत की समस्या से पंचायत प्रतिनिधियों की मुश्किलें बढ़ी हैं। बहरहाल रेत न मिलने के कारण विकास कार्य ठप पड़ते जा रहे हैं।
source: DivyaHimachal
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