नगरोटा बगवां — राशनकार्डों के माध्यम से हाउस टैक्स की वसूली करने उतरी नगरोटा बगवां नगर परिषद ने अपने प्रयासों में भले ही काफी हद तक सफलता प्राप्त कर ली हो, लेकिन नगर परिषद पर घिरे मुफलिसी के बादल अभी भी छंटने का नाम नहीं ले रहे। इस वर्ष बनने वाले राशनकार्डों के बकाए टैक्स की वसूली का हथियार बनाकर हालांकि परिषद ने करीब साढ़े आठ लाख का राजस्व इकट्ठा कर लिया हो, फिर भी परिषद अभी तक अपने सभी कर्मचारियों को मार्च महीने का वेतन मुहैया नहीं करवा पाई है। सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2011-12 तक परिषद के आठ लाख 90 हजार रुपए हाउस टैक्स के रूप में लोगों के पास फंसे हुए थे, जबकि दो लाख 85 हजार वर्ष 2012-13 के लिए जमा होने थे। राशनकार्डों के निर्माण के लिए ‘नो ड्यूज’ अनिवार्य बनाकर परिषद ने आठ लाख 34 हजार 656 रुपए की उगाही तो कर ली, लेकिन भारी देनदारियों तथा कर्मचारियों के वेतन भुगतान में दबी नगर परिषद के लिए यह सौगात भी ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हुई। 48 लाख के सालाना सरकारी अनुदान पर अपने अस्तित्व की गाड़ी को धकेल रही नगर परिषद को वेतन व भत्तों के भुगतान के लिए ही करीब 80 लाख रुपए की दरकार रहती है। ऐसे में बिजली बोर्ड तथा अन्य लाखों की देनदारियां अभी भी परिषद के सामने मुंह बाए खड़ी हैं। हालत यह है कि अपनी आमदन के संसाधनों में कोई बढ़ोतरी न होती देख परिषद अब सरकारी रहमोकरम पर अपनी नजरें टिकाए हुए है। जनप्रतिनिधियों का साफ मानना है कि समय व परिस्थितियों के साथ परिषद पर अतिरिक्त खर्चों का बोझ बढ़ा है, जबकि आमदन के स्रोत तथा सरकारी अनुदान में कोई विशेष बढ़ोतरी नहीं हुई है। उधर, आवाज यह भी है कि यदि सरकार परिषद के कर्मचारियों के वेतन भत्तों का बोझ अपने ऊपर ले ले तो परिषदों को संजीवनी मिल सकती है। परिषद के पदाधिकारियों का साफ कहना है कि सीमित आय में निर्धारित कार्यों और जिम्मेदारियों को समेटना उनके लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। अलबत्ता आवश्यक खर्चों को जारी रखने हेतु सभी ओर से प्रयास किए जा रहे हैं।
source: DivyaHimachal
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