एडवांस की पाबंदी ने जकड़े बागबान


पतलीकूहल — जिला में स्थानीय सब्जी के अस्तित्व में आने से अभी तक मात्र दस से 20 फीसदी सेब इन मंडियों में बिक्री के लिए आ रहा है। जिला में अभी भी बागबान यहां से व्यापारियों को दिल्ली, कानपुर, अहमदाबाद और मुंबई को सीधे सेब की खेप भेज रहे हैं। स्थानीय सब्जी मंडियों में खुलकर सेब का न आना बागबानों का आढ़तियों से एडवांस लेना सबसे बड़ा कारण है, जिससे वह स्थानीय मंडियों का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। जिला में स्थानीय सब्जी मंडियों के अस्तित्व में आने से बागबान अभी भी आढ़त नीति से उभर नहीं पाया है। घाटी का बागबान आज भी आढ़तियों से पहले ही एडवांस लेने के कारण उनका पिठू बन कर रह गया है और स्थानीय सब्जी मंडियों का लाभ लेने से अधिकतर बागबान अभी वंचित हैं। घाटी के बागबान सेब की सेटिंग से पहले ही आढ़तियों से एडवांस लेना शुरू कर देते हैं और जब सेब तैयार होता है तो उन्हें अपनी उपज देश के आढ़तियों को सौंपनी पड़ती है। हालांकि स्थानीय सब्जी मंडियों के अस्तित्व में आने से छोटे बागबान ही सेब की बिक्री इन मंडियों में कर रहे हैं, जबकि बडे़ बागबान सीधे सेब को देश की सुदूर सब्जी मंडियों में भेज रहे हैं। कुल्लू के बागबान खेखराम नेगी ने बताया कि स्थानीय सब्जी मंडियों में वही बागबान सेब को बिक्री के लिए ले जाते हैं, जिनकी क म फसल हैं और लोग ज्यादा बी और सी ग्रेड फल को स्थानीय सब्जी मंडियों में भेजते हैं, जिससे उनका बढि़या क्वालिटी का माल देश की अन्य मंडियों में सीधे जाता है। यही कारण है कि स्थानीय सब्जी मंडियों के अस्तित्व में आने से अभी तक लोग एडवांस लेने के कारण सेब को स्थानीय सब्जी मंडियों में नहीं भेज पाते हैं। फिलहाल घाटी के बागबान एडवांस की पाबंदियों के चलते अपने उत्पाद को लोकल सब्जी मंडियों नहीं पहुंचा पाते। यही कारण है कि बाहरी आढ़ती मोटा मुनाफा कूट रहे हैं।







source: DivyaHimachal

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