राकेश शर्मा, चंबा
करीब दस साल से गरीब चल रहे चंबा के 62 हजार लोगों में से कई करोड़ों रुपये की धन संपदा जोड़ चुके हैं, लेकिन सरकारी खाते में अभी तक उनकी गरीबी दूर नहीं हुई। वास्तविक रूप में अमीर हो चुके यह कागजी गरीब साल भर में उन सैकड़ों परिवारों का हक मार लेते हैं, जो हकीकत में गरीब तो हैं, लेकिन उनकी पहुंच इतनी नहीं है कि उनकी गरीबी का पंजीकरण हो सके। यह हालत पिछले दस सालों से गरीबी का आकलन न हो पाने की वजह से बनी हुई है।
खाद्य आपूर्ति विभाग इन दिनों राशन कार्ड वितरित करने की म
source: Jagran
Full Story at: http://www.jagran.com/himachal-pradesh/chamba-10185017.html
Post a Comment