घर द्वार पशु के इलाज पर कोई फीस नहीं

धर्मशाला — ग्रामीण क्षेत्रों के पशुपालकों से इलाज के बदले अधिक पैसे वसूलना पैरावेट स्टाफ को महंगा पड़ सकता है। ग्रामीण पशुपालकों के पशुओं के इलाज के बदले अधिक पैसे वसूलने पर पशु-पालन विभाग द्वारा कार्रवाई का डंडा बरपाया जाएगा। हालांकि अधिक पैसे लेने वाले स्टाफ के खिलाफ लोगों को लिखित शिकायत देनी होगी। जिला कांगड़ा के ग्रामीणों के पशुओं की बीमारी के समय डोर-टू-डोर सर्विस देने पर अधिक पैसे लेने पर कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है। पशुपालन विभाग के निर्देशों के अनुसार घर-द्वार पर इलाज की सुविधा उपलब्ध करवाए जाने के लिए डाक्टर की कोई भी फीस निर्धारित नहीं की गई है। ऐसे में डाक्टर कोई भी फीस घर में इलाज करने की नहीं ले सकता, जबकि पैरा वेट स्टाफ को घर में इलाज के लिए जाने पर मात्र दूरी के हिसाब से यात्रा भत्ता दिए जाने का प्रावधान किया गया है। यदि किसी भी पैरावेट द्वारा ग्रामीण पशुपालकों से अधिक पैसों की मांग की जाती है, तो उसकी शिकायत उपनिदेशक कार्यालय में की जा सकती है। लिखित शिकायत मिलने के बाद पैसे लेने वालों के खिलाफ विभाग द्वारा सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालकों के पशुओं के इलाज के लिए सभी सुविधाएं मुफ्त ही उपलब्ध करवाई जाती है। इस फेहरिस्त में दवाइयों को मुफ्त ही दिया जाता है। साथ ही पशुओं को लगने वाले टीके सबसिडी पर बहुत कम मूल्य पर उपलब्ध करवाए जाते हैं। ‘दिव्य हिमाचल’ द्वारा ग्रामीण लोेगों से बात करने पर उनका कहना है कि पैरावेट स्टाफ द्वारा कम दूरी से आने के बावजूद रेट फिक्स कर दिए गए हैं। उनका कहना है कि जो रेट निर्धारित किए गए हैं, उन्हीं के अनुसार अधिक पैसे लिए जा रहे हैं। हालांकि उन्होंने माना है कि अभी तक कोई भी लिखित शिकायत उन्होंने विभाग में दर्ज नहीं करवाई हैं। उधर, इस बाबत उपनिदेशक पशुपालन विभाग, कांगड़ा ऋषि खजूरिया ने बताया कि किसी भी पैरावेट स्टाफ द्वारा अधिक पैसे लिए जाते हैं, तो उस पर विभाग द्वारा सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने ग्रामीणों को हिदायत देते हुए कहा है कि अधिक पैसे लेने वालों के विरुद्ध विभाग के पास लिखित में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। उस पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।






source: DivyaHimachal

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