रामपुर की बिजली पर बर्फ का कहर


रामपुर बुशहर — बिजली पर बर्फ का कहर लगातार जारी है। अभी भी रामपुर के कई गांव ऐसे है, जहां पर बिजली की सप्लाई नहीं हो पा रही है। नरैण पंचायत के तीन गांव ऐसे हैं, जहां पर एक माह से लाइट नहीं है। इन गांवोृं को बिजली से जोड़ने वाली लाइनें बर्फ के बीच दबी हुई हैं। ऐसे में विभाग को इन गांवों में बिजली की आपूर्ति को बहाल करने में वक्त लग रहा है। रामपुर की सबसे दुर्गम पंचायत काशापाट में भी बिजली की आपूर्ति बहाल नहीं हो पाई है। इन पंचायत को जोड़ने वाली लाइन में दिक्कत आने से बिजली बहाल नहीं हो पाई है। ऐसा ही हाल ननखड़ी उपतहसील के कई गांवों का है। यहां पर अभी भी पांच ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं। पिछले दो दिनों से यहां पर फिर से बर्फबारी का क्रम चलने से बिजली बोर्ड की मुसीबतें बढ़ गई हैं। जानकारी के मुताबिक रविवार को मौसम साफ होने से बिजली विभाग के कर्मी लाइन को सुचारू करने के लिए काम तो कर रहे हैं। विभाग का कहना है कि दस ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं, जिसमें से ककरोली व आदर्शनगर को शाम तक सप्लाई दे दी जाएगी। बाकी के ट्रांसफार्मरों में काम चल रहा है। विभाग का कहना है कि इस बार बर्फबारी ने उनके कार्यों को बढ़ा दिया है, जब तक एक लाइन को दुरुस्त करते हैं, तब तक वही लाइन फिर से बर्फबारी के कारण क्षतिग्रस्त हो जाती है। सबसे ज्यादा मशक्कत ननखड़ी की 17 पंचायतों में बिजली बहाली में हुई है। यहां पर 17 जनवरी से तीन बार भारी बर्फबारी हो चुकी है। ऐसे में ठीक हुई लाइन फिर से टूट जाती थी। अभी भी कई गांव ऐसे हैं, जहां पर बिजली को टेंपरेंरी तौर पर ठीक किया है। पिछले दो दिनों से ननखड़ी की कई पंचायतों में फिर से बर्फबारी का क्रम चला, जिस कारण बिजली विभाग को दस ट्रांसफार्मर बंद करने पड़े। इनमें कई ट्रांसफार्मरों में दिक्कत आने से बिजली आपूर्ति बंद करनी पड़ी। इस बार की बर्फबारी हर एक के लिए काफी भारी रही। खासकर बिजली कर्मी व स्कूल के बच्चों के लिए इस बर्फबारी ने काफी दिक्कतें लाईं। बिजली न होने से बच्चे अपनी पढ़ाई नहीं कर पाए, जहां अभी भी लाइट नहीं है। वहां के स्कूली बच्चों की पढ़ाई काफी प्रभावित हो रही है। लोगों का कहना है कि इस बार की बर्फबारी ने उनकी मुसीबतों को कई गुना बढ़ा दिया है, जिस फसल के लिए यह बर्फबारी काफी फायदेमंद साबित होती थी, उसी सेब की फसल पर से बर्फ कहर बनकर बरपी है। कई पंचायतोें में सेब के पौधे 60 प्रतिशत तक क्षतिग्रस्त हो गए हैं।







source: DivyaHimachal

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