पद्धर — देव पाइदल ऋषि के मूल मंदिर डोलरा में चल रहा विशाल गायत्री महायज्ञ मंगलवार को संपन्न हो गया। इससे पूर्व देव पुरिहितों ने मंत्रोच्चारण कर महायज्ञ की पुर्णाहुति रस्म को निभाया। देव पाइदल ऋषि पिछले हप्ते ही अपने पिता देव बुड़ाबिंगल के मंदिर में विशाल गायत्री महायज्ञ में शरीक हुए थे और वहां मां टारना भगवती और देव बुड़ाबिंगल देव समागम के साक्षी बने थे। वहां गायत्री महायज्ञ को संपन्न करवाने के बाद देव पाइदल ऋषि ने अपने मंदिर में अपने कुल पुरोहितों द्वारा गायत्री यज्ञ करवाया। मंगलवार को महायज्ञ की संमापन बेला पर देव पाइदल ऋषि ने अपने ज्येष्ठ गुर के माध्यम से कन्या पूजन किया। इसके उपरांत देव रथ मंदिर परिसर में बने विशाल हवनकुंड पहुंचा। देव पुरोहितों के मंत्रोच्चारण पर देव पाइदल ऋषि सबसे पहले हवन कुंड में आहुति डाली। इसके उपरांत मंदिर में मौजूद सैकड़ों श्रद्धालुओं ने हवन कुंड में आहुति डालकर स्वयं को धन्य किया। महायज्ञ के अंतिम दिन हवन कुंड में लगभग 1100 नारियलों की पूर्णाहुति डाली गई। देव पाइदल ऋषि ने गायत्री महायज्ञ की रस्म निभाने आए देव पुरोहित नागणू राम शर्मा, केवल कृष्ण शर्मा, के सानिध्य में आए लगभग तीन दर्जन पुरोहितों को देव कमेटी के माध्यम से सम्मानित कर उन्हें आशीर्वाद दिया। देवता ने कमेटी के माध्यम से देव बुड़ाबिंगल, देव राम पाल ब्रह्मा सिंगार, माता जालपा भगवती सरौण के प्रमुख कारदारों को भी सम्मानित किया। देव रथ ने मंदिर में आए सभी श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए जन और शृष्टि कल्याणार्थ महायज्ञ को सफल करार दिया। मंदिर कमेटी की ओर से विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण कर स्वयं को धन्य किया।
source: DivyaHimachal
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