
कोरोना महामारी के चलते विद्यालयों में खाली रह गए क्लास रूम के बैंच, थर्मल स्कैनिंग के बाद मिली एंट्री
शिमला-राजधानी शिमला में पहले दिन जब स्कूल खुले, तो मात्र 10 प्रतिशत छात्र ही स्कूल में पहुंचे। हैरानी इस बात की है कि जिला के सबसे बड़े स्कूल पोर्टमोर जहां पर 2 हजार से ज्यादा छात्राएं पढ़ती हैं। वहां पर केवल 25 छात्राएं ही पहुंची, इसके साथ ही लक्कड़बाजार स्कूल में 5 छात्राएं ही स्कूल में आईं। जिला के दूसरे सरकारी स्कूलों की बात करें, तो 4 व 5 छात्र ही स्कूलों में कक्षाएं लगाने में पहुंचे थे।
ऐसे में स्कूलों में कक्षाएं शुरू करने का सुझाव देने वाले अभिभावकों का डर अभी भी कोरोना वायरस के प्रति खत्म नहीं हुआ है। यही वजह है कि सोमवार को पहले दिन जब स्कूल खुले, तो शिमला के स्कूलों में भी ज्यादा रौनकें देखने को नहीं मिलीं। हालांकि छात्र सुबह नौ बजे पहुंचे। स्कूल में प्रार्थना सभा का भी आयोजन नहीं हुआ।
सात माह बाद जब स्कूल खुले, तो सब बदला-बदला सा महसूस हो रहा था। कक्षा में छात्राएं इतनी दूर-दूर बैठी थी, मानो वे एक-दूसरे को जानते ही नहीं हों। संक्रमण की वजह से स्कूल-कालेजों में बहुत ज्यादा परिवर्तन देखा गया। हालांकि जो छात्र स्कूल में पहुंचे थे, उनकी कक्षाएं लगाई गई। सोमवार को जब स्कूल खुले, तो छात्रों को गेट पर ही सेनेटाइज किया गया। शिक्षक व छात्रों की थर्मल स्कैनिंग की गई। बता दें कि जिला में 124 हाई स्कूल व 281 सीनियर सेकेंडरी स्कूल है।
जिस में शिमला शहर में हाई स्कूल 7 व सकेंडरी स्कूलों की संख्या 24 है, जिला के ग्रामीण स्कूलों की बात करें, तो हाई स्कूल 117, वहीं 257 सीनियर सकेंडरी स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों में है। सोमवार को जिला के इन सभी स्कूलों में छात्र आए।
लेकिन नवमीं व दसवीं कक्षा के तो बहुत कम छात्र ही कक्षाएं लगाने पहुंचे। बता दें सभी स्कूल-कॉलेजों ने अपनी-अपनी एसओपी के तहत ही कक्षाएं लगाई। दरअसल अगर किसी स्कूल में सौ से ज्यादा छात्र हुए तो प्रधानाचार्यो को अल्ट्रानेट डे पर छात्रों को स्कूलों में बुलाना होगा। वहीं अगर किसी स्कूल-कालेज में छात्रों को सोशल डिस्टेसिंग में बैठाने के लिए क्लासरूम नहीं होगे, तो ऐसे में बोर्ड कक्षाओं के छात्रों की रेगुलर कक्षाएं शुरू करने को ज्यादा तवज्जो देनी होगी।
इस दौरान पूरी व्यवस्था प्रबंधन को करनी होगी। स्कूल में आने वाले छात्रों को मास्क पहनकर आना होगा। स्कूल में सेनेटाइजर की सुविधा होनी चाहिए। इसके साथ ही थर्मल स्कैनिंग के बिना किसी भी छात्र या टीचर को अंदर आने की अनुमति नहीं होगी।
शिमला के कालेजों में लौटी रौनक
सोमवार को शिमला के संजौली, आरकेएमवी, कोटशेरा कॉलेज में छात्रों की रौनके लौट आई है। पहले दिन कालेजों में दर्जनों छात्र पहुंचे। इस दौरान शिक्षकों ने छात्रों की लंबे समय के बाद क्लासरूम में कक्षाएं भी लीं।
खाली रह गए क्लासरूम
शिमला के सरकारी स्कूलों में आधे से ज्यादा क्लासरूम में कोई रौनक ही नजर नहीं आई। वहीं कक्षाओं में बैंच छात्रों का इंतजार ही करते रहे। सरकार ने संक्रमण के बीच स्कूल तो खोल दिए, लेकिन छात्र नहीं पहुंचे।
निजी स्कूलों में कम दिखी संख्या
बता दें कि शहर के प्राइवेट स्कूलों में भी बहुत कम छात्र कक्षाएं लगाने के लिए पहुंचे। हालांकि जो छात्र पहुंचे थे, उन्होंने अभिभावकों से सहमति पत्र लाया था। किसी भी स्कूल 20 से ज्यादा छात्र प्राइवेट स्कूलों में भी नहीं पहुंचे।
स्कूलों ने जारी किया टाइम टेबल
इसके अलावा जिला के सरकारी स्कूलों ने क्लासेस लगाने का टाइमटेबल भी बना दिया है। वहीं, छात्रों की संख्या के आधार पर शेड्यूल बनाया गया है।
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