ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग होंगी शर्तें
शिमला –आशा वर्कर्स के पदों की नियुक्तियों के लिए प्रदेश सरकार ने नियम एवं शर्तें तय कर दी हैं। हालांकि इससे पहले ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए एक ही नियम थे, लेकिन अब ग्रामीण और शहरी दोनों के अलग-अलग कैटेगरी में बदल दिया है। यानी ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग शर्तें लागू होंगी। ऐसे में अब ग्रामीण क्षेत्रों में आठ सौ की जनसंख्या पर एक और शहरी क्षेत्रों में एक हजार की जनसंख्या पर एक आशा वर्कर की नियुक्ति होगी। इसके साथ-साथ शैक्षणिक योग्यता में भी अंतर होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में आठवीं पास और शहरी क्षेत्रों में मैट्रिक पास की शर्तें तय हैं। प्रदेश में इस महीने के अंत तक 180 आशा वर्कर्ज की नियुक्ति होनी है। इसके लिए सरकार ने कमेटियां भी गठित कर दी हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में बीएमओ कमेटी के चेयरमैन होंगे। जबकि बीडीओ यानी खंड विकास अधिकारी और सीडीपीओ सदस्य होंगे। इसी तरह से शहरी क्षेत्रों में सीएमओ चेयरमैन, बीएमओ और सीडीपीओ सदस्य होंगे। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में वर्तमान में करीब चार हजार आशा वर्कर्ज सेवाएं दे रही हैं। ये आशा कार्यकर्ता अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं दे रही हैं। 30 सितंबर तक 180 आशा वर्कर्ज की नियुक्ति की जाएगी। इसके लिए लिखित परीक्षा नहीं होगी, लेकिन शैक्षणिक योग्यता के अनुसार भर्ती की जाएगी। वहीं आशा वर्कर्ज की नियुक्तियों में किसी गड़बड़ी की आशंका को देखते हुए प्रत्याशी रिजल्ट आउट होने के 15 दिन के भीतर आपत्ति दर्ज कर सकते हैं।
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Courtsey: Divya Himachal
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