Wednesday, September 4, 2019

28 करोड़ 70 लाख के घोटाले

दियोली सहकारी कृषि सभा में 11.70 लाख की गड़बड़ी

गगरेट – भ्रष्टाचार एवं सहकारी कृषि सभाओं का जैसे चोली दामन का ही साथ हो गया है। ताजा घटनाक्रम में कृषि सहकारी सभा दियोली पर भ्रष्टाचार के छींटे पड़े हैं। कृषि सहकारी सभा के किए गए ऑडिट में ग्यारह करोड़ सत्तर लाख रुपए के घोटाले का पता चला है। कृषि सहकारी सभाओं में इसे इस क्षेत्र का सबसे बड़ा घोटाला बताया जा रहा है। कृषि सहकारी सभा दियोली के पास 17 करोड़ रुपए की अमानत राशि जमा थी, जिसमें से अब ग्यारह करोड़ सत्तर लाख रुपए गायब बताए जा रहे हैं। मंगलवार को कृषि सहकारी सभा का ऑडिट करने के बाद सारा रिकार्ड सभा की प्रबंधन समिति के समक्ष सहकारी सभाएं निरीक्षक संदेश बाला ने प्रस्तुत कर दिया है। हालांकि अतिरिक्त पंजीयक सहकारी सभाएं ऊना ने ऑडिट रिकॉर्ड उन तक न पहुंचने का दावा किया है। कृषि सहकारी सभा दियोली में हुए इस महाघोटाले का खुलासा तब हुआ, जब सभा के कुछ सदस्यों ने सभा में जमा करवाई राशि वापस मांगी। बार-बार पैसा मांगने के बाद भी जब उन्हें उनका पैसा वापस नहीं मिला, तो इसकी शिकायत प्रबंधन समिति के प्रधान सुरेंद्र सिंह से भी की गई और मामला सहकारिता विभाग के उच्च अधिकारियों के पास भी पहुंचा। इसके बाद प्रबंधन समिति ने सहकारिता विभाग से सभा का ऑडिट करने को कहा, जिस पर विभाग ने जब ऑडिट करवाया, तो महाघोटाले की परत दर परत खुलने लगी। विभाग द्वारा किए गए ऑडिट में ग्यारह करोड़ सत्तर लाख रुपए के घोटाले का पता चला है। आखिर इतना पैसा कहां गया, इस बारे में सभा के कर्मचारी भी संतोषजनक उत्तर नहीं दे पा रहे हैं। हालांकि इतने बड़े घोटाले का अब तक पता न चलने के पीछे सहकारिता विभाग की लापरवाह कार्यप्रणाली भी उजागर हुई है। सवाल यह है कि इससे पहले सभा के होने वाले ऑडिट में यह घोटाला कैसे छुपा रहा। आखिर क्या कारण रहे कि इससे पहले हुए ऑडिट में एक रुपए की हेराफेरी तक नजर नहीं आई। इससे पहले भी जिला की कुछ सहकारी सभाओं में भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो चुके हैं और एक सहकारी सभा में सामने आए भ्रष्टाचार के मामले की गाज सहकारिता विभाग के कुछ अधिकारियों पर भी गिर चुकी है।

अब सहकारिता विभाग के अधिकारी करेंगे कार्रवाई

सभा के ऑडिट में हुए घोटाले का खुलासा होने के बाद मंगलवार को सभा का एक प्रतिनिधिमंडल विधायक राजेश ठाकुर से भी मिला और उन्होंने भी इस मामले में उच्च स्तरीय जांच करवाने का आश्वासन प्रतिनिधिमंडल को दिया है। उधर, सभा के प्रधान सुरेंद्र सिंह का कहना है कि ऑडिट रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ है, उस पर सहकारिता विभाग के अधिकारी ही कोई कार्रवाई कर सकते हैं। वहीं, अतिरिक्त पंजीयक सहकारी सभाएं ऊना सुरेंद्र वर्मा का कहना है कि अभी उनके पास रिपोर्ट नहीं पहुंची है। अगर कुछ गलत हुआ, तो नियमानुसार कार्रवाई होगी।

ई-चालान, जाली एफडीआर के नाम पर पौने तीन करोड़ का चूना

ऊना – जिला में आबकारी एवं कराधान विभाग को फर्जी ई-चालान व जाली एफडीआर के नाम पर एक महिला सहित दो शराब कारोबारियों ने करीब पौने तीन करोड़ का चूना लगाया है। एजी ऑफिस शिमला की टीम द्वारा विभाग के रूटीन ऑडिट जांच में इस कथित घपलेबाजी का खुलासा हुआ है। इस पूरे प्रकरण के उजागर होने से आबकारी एवं कराधान विभाग के होश फाख्ता हो गए हैं। मामले में आबकारी एवं कराधान विभाग की लापरवाही भी सामने आई है। विभाग की कार्यप्रणाली में कई खामियां ऑडिट पैरा में चिन्हित की गई हैं। जानकारी के अनुसार प्रदेश के एक आला सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी की निकट संबंधी महिला व एक सीए के नाम पर आबकारी विभाग ने पिछले वित्तिय वर्ष में ऊना जिला में पांच शराब के ठेके आबंटित किए थे, जिन्हें इस वर्ष भी रिन्यू किया गया। अप्रैल, 2018 से जुलाई, 2019 तक दोनों लाइसेंस्ड ठेकेदारों ने शराब परमिट जारी करवाने के लिए आवश्यक एक्साइज ड्यूटी भरने के लिए ऑनलाइन ई-चालान विभाग को प्रस्तुत किए, जो कि ऑडिट जांच में ट्रेजरी के आंकड़ों से मैच नहीं हुए, जिससे पूरे घोटाले का पर्दाफाश हुआ। ऑडिट ऑब्जेक्शन लगने के बाद जब मामले की जांच की गई, तो पिछले 16 माह के दौरान दोनों ठेकेदार दो करोड़ 58 लाख 51 हजार 803 रुपए के जाली चालान प्रस्तुत कर विभाग को चूना लगा चुके थे। इन दोनों ने 33 लाख 63 हजार रुपए की एफडीआर सिक्योरिटी अमाउंट के रूप में विभाग के पास जमा करवाई। वह भी जांच के बाद फर्जी पाई गई है। ऑडिट के दौरान मामला उजागर होने के बाद विभाग ने ई-चालान की कॉपियां वेरीफिकेशन के लिए शिमला साइबर ट्रेजरी भेजीं। आबकारी एवं कराधान विभाग द्वारा एम-2 रजिस्टर मेंटेन नहीं किया गया। वहीं, ट्रेजरी से कांसोलिडेटिड रिपोर्ट भी मैच नहीं की गई। अब मसले को लेकर आबकारी एवं कराधान विभाग की ओर से कानूनी सलाह ली जा रही है, ताकि इस मामले को लेकर कानूनी कार्रवाई की जा सके। खबर की पुष्टि स्टेट टैक्सेशन एंड एक्साइज के उच्चायुक्त प्रदीप शर्मा ने की है।

यहां आबंटित किए ठेके

शराब कारोबारी को सनोली, मजारा, उदयपुर, रक्कड़ व झलेड़ा में शराब ठेके आबंटित किए गए। अप्रैल, 2018 से दोनों शराब कारोबारियों ने फर्जी ई-चालान से दो करोड़ 58 लाख 51 हजार 803 रुपए का फर्जीबाड़ा किया। वहीं, मामला उजागर होने के बाद विभाग ने दोनों को रिकवरी नोटिस जारी किए, जिसके बाद महिला शराब कारोबारी ने 29 लाख 55 हजार 506 रुपए जमा करवाए, जबकि दूसरे कारोबारी ने दो लाख 22 हजार 149 रुपए की राशि जमा करवाई। वहीं, शेष राशि भी जमा करवाने की हामी भरी।

अब कार्रवाई की तैयारी

साइबर ट्रेजरी व संबंधित बैंक द्वारा ई-चालान व एफडीआर के जाली होने की पुष्टि के बाद अब विभाग ने दोनों शराब कारोबारियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की प्रक्रिया शुरू की है। शराब कारोबारियों ने शातिराना ढंग से विभाग को जाली ई-चालान व एफडीआर सौंप दिए। यदि ऑडिट के दौरान ट्रेजरी व विभाग के आंकड़े मिसमैच न होते, तो शायद इस घोटाले का कभी खुलासा भी नहीं हो पाता। डिपॉजिट करवाई गई फर्जी एफडीआर देखने में हू-ब-हू बैंक की अधिकृत एफडीआर प्रतीत होती थी। इस पूरे प्रकरण में कम्प्यूटर एक्सपर्ट्स की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता।

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Courtsey: Divya Himachal
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