पतलीकूहल – प्रदेश में पहली नवंबर से 28 फरवरी तक यानी चार महीने ट्राउट आखेट पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया जाता है। यदि इस दौरान कोई व्यक्ति ट्राउट का शिकार करते हुए पाया जाता है तो उसे हिमाचल प्रदेश फिशरी एक्ट-1976 के तहत दंडित करने का प्रावधान है, क्योंकि नवंबर से फरवरी के महीनों में ट्राउट का प्रजनन काल रहता है, जिसमें मछली नदी-नालों में ऐसा स्थान प्रजनन के लिए चुनाव करती है, जहां पर अंडों का सही रूप से निषेचन हो सके। मत्स्य निदेशक हिमाचल प्रदेश एसपी मेहता ने बताया कि ट्राउट के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभाग यह कदम उठाता है, ताकि गर्मी के मौसम में यहां आने वाले सैलानी, जो मत्स्य आखेट का शौक रखता हैं, वे ट्राउट आखेट का लुत्फ उठा सकें। विभाग हर वर्ष करीब ट्राउट की कृत्रिम प्रजनन प्रक्रिया से सात लाख से अधिक अंडों का उत्पादन करता है। हर साल नवंबर से फरवरी तक ट्राउट आखेट पर रोक लगा दी जाती है, ताकि स्वच्छ व निरंतर बहने वाले पानी की मछली की संख्या में वृद्धि हो। उन्होंने कहा कि चार महीनों में ट्राउट का शिकार न हो, उसके लिए विभाग ने उड़नदस्तों की तैनाती कर दी है। ये टीमें पूरे प्रदेश की नदियों व सहायक नालों पर निगरानी रखेंगी और अवैध शिकार करने वालों पर कार्रवाई करेंगी
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Courtsey: Divya Himachal
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