प्रदेश भर में 1248 पद खाली, कालेजों में ही चाहिए 127 कर्मचारी
हमीरपुर —प्रदेश में स्कूल-कालेजों के पुस्तकालय किताबें से भरे पड़े हैं, लेकिन यहां लाइबे्ररियन के पद खाली पड़े हुए हैं। इससे छात्रों को लाखों रुपए की पुस्तकों का लाभ तक नहीं मिल रहा है। प्रशिक्षित लाइबे्ररियन वर्षों से नियुक्ति की राह देख रहे हैं, लेकिन लगता है कि सरकार की नजर न तो पुस्तकालयों पर है, न छात्रों पर और न ही बेरोजगार लाइब्रेरियंस पर। प्रदेश के लगभग सभी राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाओं में पुस्कालय हैं तथा इनमें पुस्तकों का अंबार लगा हुआ है। करोड़ों रुपए की पुस्तकें पुस्तकालयों में धूल फांक रही हैं। सूत्रों की मानें तो इस समय प्रदेश भर में लगभग 1841 स्कूलों में लाइब्रेरियन के लगभग 1248 पद रिक्त पडे़ हुए हैं। इसी तरह से कालेज स्तर भी लगभग 127 पद रिक्त पडे़ हुए हैं। हमीरपुर जिला में ही अकेले 94 राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल हैं और इनमें मात्र 25 में ही लाइब्रेरियन हैं। जिन स्कूलों में पद रिक्त चल रहे हैं, उनमें इनकी देख-रेख के लिए केयर टेकर स्कूलों ने अपने स्तर पर रखे हैं, लेकिन वर्षों से प्रशिक्षित बेरोजगार लाइब्रेरियन रोजी-रोटी के लिए रोजगार की राह देख रहे हैं, लेकिन उन्हें अभी तक सरकार की ओर से कोई खुशखबरी नहीं मिल पाई है। इससे वे वर्षों से नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। स्कूलों में पढ़ने के लिए बच्चों को किताबों नहीं मिल पा रही हैं और बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल रहा है। वर्ष 2010 में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने भाजपा सरकार के दौरान 300 पद लाइब्रेरियन के भरे थे तथा उसके बाद आठ वर्षों से कोई पद नहीं भरा गया। लाइबे्ररियन संघ के प्रदेशाध्यक्ष कमलेश परमार व जिलाध्यक्ष त्रिलोक हल्कू का कहना है कि सरकार को लाइब्रेरियनों की ओर भी अब ध्यान देना चाहिए। कांग्रेस सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। जब भाजपा की सरकार आती है तभी उन्हें इनसाफ मिलता है।
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Courtsey: Divya Himachal
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