ठियोग – ठियोग की सैंज पंचायत के प्रसिद्ध ग्राम देवता चकलेश्वर महाराज पराला 15 वर्षों के बाद केदारनाथ सहित विभिन्न तीर्थों की पैदल यात्रा पर नाहण साढ़े चार सौ किलोमीटर तय करने के बाद रविवार को प्रयागराज पहुंच चुकी है। देवता के गूर दिनेश चंदेल ने बताया कि यहां पर देव प्रयाग में मंदाकनी भागीरथी गुप्त सरस्वती के तीन नदियों का मिलन होता है और यहां पर पांडवों द्वारा निर्मित रघुनाथ मंदिर है, जहां पर वे सभी देवता चकलेश्वर के साथ ठहरे हुए हैं। यह पैदल यात्रा करीब 50 दिनों तक चलेगी। यहां से आगे केदारनाथ पहुंचने में करीब अभी छह से सात दिन का समय और लगेगा। देवता के साथ 15 कारदार और कलेणें इस यात्रा में शामिल हुए हैं। इस अवसर पर देवता के गूर पूर्व में ठियोग बीडीसी के वाइस चेयरमैन रहे दिनेश चंदेल ने बताया कि करीब साढे़ चार सौ किलोमीटर का सफर तय करने के बाद रविवार को देव प्रयाग पहुंच गए हैं। उन्होंने बताया कि इस दौरान देवता महाराज केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, हरिद्वार सहित कई तीर्थों में स्नान करेंगे। उन्होंने बताया कि यह यात्रा हजारों सालों से तय रास्तों से होकर ही गुजरेगी। देवता के साथ जाने वाले कारदार इस दौरान पूरी व्यवस्था के साथ राशन, सोने के कपडे़ तथा अन्य सामग्री ले गए हैं और सारा सामान यात्रा में साथ रखा जाता है और, जहां पर रात के समय देवता महाराज ठहरेंगे, वहां पर देवता के कारदार खुद खाना पका रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह यात्रा हिमाचल व उत्तराखंड के काफी दुर्गम रास्तों से होकर गुजरेगी। तीन मई को केदारनाथ के कपाट खुलने के समय तक वहां पहुंच जाएंगे। इस यात्रा में देवता के अन्य गूर भूपराम भंडारी, हेमराज सैणा, रमेश चंदेल के अलावा कारदार व कलेणें कर्म सिंह, योगराज, हरीश चंदेल, राकेश, संजीव, राजेश, जगत राम रोशन संदीप बंसी लाल आदि देवता के साथ इस यात्रा में शामिल हैं। उन्होंने बताया कि देवता की यह यात्रा खास होती है और इस दौरान देवता अपनी नई शक्तियों के साथ वापस लौटते हैं और माना यह जाता है कि देवता के जाने वाले कलेणों को भी कुछ नियमों का पालन करना होता है, ऐसे में देवता के इलाके में कोई भी देवकार्य नहीं किया जाता है।
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source: DivyaHimachal
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