
ठियोग | ठियोगकी ग्राम देवी देवताओं की परंपरा के अनुसार आज बैशाख की संक्रांति का काफी महत्व है। इस दिन लोग अपने अपने ग्राम देवी देवताओं में मंदिरों में जरूर हाजिरी लगाकर उनकी पूजा अाराधना करते हैं और सालभर के लिए अच्छी फसलों के अलावा अपने परिवारों के लिए सुख समृद्धि की कामना अपने देवी देवताओं से करते हैं। हर घर से कम से कम एक कलैणा अपने ग्राम देवता देवियों की देवठी में जरूर जाता है और अपने परिवार की ओर से चढ़ावा चढ़ाता है। जो व्यक्ति जिस देवी या देवता के क्षेत्र में रहता है वह उस देवी या देवता का कलैणा कहलाता है। बिशू की साजी पर ठियोग के गावों में घरों को बुरांश के फूलों से सजाया जाता है। फूल पत्तों की माला गूंथकर घरों के दरवाजों पर लगाई जाती है जिसे सतरेवड़ी कहते हैं। इसके अलावा खेतों की पूजा की जाती है और नई फसलों के लिए दुआ की जाती है। इन मेलों में प्राचीन लोक क्रीड़ा ठोडा के अलावा देव नृत्य चोल्टू सहित अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
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source: Dainik Bhaskar
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