पक्की नौकरी तो दूर पगार के भी लाले


मटौर — मत्स्य विभाग में सेवाएं दे रहे कुक-कम-चौकीदार कर्मियों की आर्थिक स्थिति अब डगमगा गई है। विभाग में पिछले एक दशक से सेवाएं दे रहे उक्त कर्मी अभी तक न तो नियमित हो पाए हैं और न ही अपनी आर्थिकी को मजबूत बना पाए हैं। आलम यह है कि उक्त कर्मियों को अब रोटी के भी लाले पड़ने शुरू हो गए हैं। विभाग में ठेकेदारों के माध्यम से भर्ती हुए उक्त कर्मी अब वेतन को भी तरस गए हैं। प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैनात किए गए कुक-कम-चौकीदार कर्मियों ने जहां सरकार में यह मांग की है कि उन्हें विभाग में नियमित कर्मी के तौर पर नियुक्त किया जाए, वहीं उन्हें अच्छा वेतन भी प्रदान किया जाए। उक्त कर्मचारियों के हवाले से कहें तो लंबे समय से विभाग व सरकार से इस मसले पर यह मांग समय-समय पर उठाई गई है, लेकिन सिवाय आश्वासनों के कुछ भी नहीं मिल पाया है। इन कर्मियों ने सरकार से मांग की है कि उन्हें ठेकेदारों के अधीन न रखा जाए, वहीं उन्हें नियमित कर्मी घोषित किया जाए। गौरतलब है कि उक्त कर्मियों की भर्ती विभाग ने कुछ वर्षों पहले ठेकेदारों के माध्यम से की थी और रेस्ट हाउसों व कार्यालयों में स्थित पतलीकूहल, बिलासपुर, पौंग डैम सहित अन्य स्थलों पर ये कर्मी अपनी सेवाएं तो दे रहे हैं, लेकिन आज तक न तो उन्हें विभाग ने अपना कर्मी घोषित किया है और न ही उनके लिए कोई नीति तैयार की है। ऐसे में मझधार में लटके इन कर्मियों को एक बार फिर सरकार से उनके लिए विशेष नीति बनाने की मांग की है।







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