सुंदरनगर — सुकेती खड्ड में सिल्ट (गाद) डालने का काम रविवार रात्रि 12 बजे से शुरू हो जाएगा। सुकेती खड्ड में सिल्ट डालने का काम 30 जून से 30 सितंबर तक चलेगा। गौर रहे कि ब्यास-सतलुज लिंक परियोजना की यहां स्थित कृत्रिम झील से सिल्ट सुकेती खड्ड में डाली जाती है। सुकेती खड्ड में सिल्ट डालने से जहां जलचरों की दर्जनों प्रजातियां समाप्त हो जाती हैं, वहीं सोना उगलने वाली बल्ह की उपजाऊ भूमि भी प्रभावित होती है। बल्ह घाटी के लोगों ने सिल्ट समस्या से निजात पाने के लिए प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय ने बीबीएमबी को बरसात के तीन ही महीनों में झील से सिल्ट निकालकर सुकेती खड्ड में डालने के आदेश दिए हैं, ताकि सिल्ट पानी के तेज बहाव के साथ निकल कर पुनः ब्यास नदी में चली जाए। उल्लेखनीय है कि सिल्ट केवल बल्ह घाटी या सुकेती खड्ड की समस्या ही नहीं है, अपितु यह बीबीएमबी के लिए भी बहुत बड़ी आफत है। यहां सिल्ट परियोजना की कृत्रिम झील में पानी कम सिल्ट अधिक है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि झील में लगभग 1600 एकड़ फुट सिल्ट जमा है, जिसे निकालने के लिए रविवार रात्रि 12 बजे से दो डे्रजर तैयार खड़े हैं, जो 24 घंटे चलकर लगभग आठ एकड़ सिल्ट निकालकर सुकेती खड्ड में डालेंगे। सुकेती खड्ड में सिल्ट डालने से खड्ड का जलस्तर बढ़ जाता है, जिसके चलते सिल्ट किनारों को भर्ती हुई किसानों के खेतों में समा जाती है। बीबीएमबी सिल्ट समस्या का अभी तक स्थाई समाधान नहीं ढूंढ पाई है। प्रबंधन ने इसके समाधान के लिए देश की अग्रणी नीरी संस्था से भी लगभग दो दर्जन सुझाव लिए हैं, परंतु अभी तक किसी पर भी अमल नहीं हो पाया है।
source: DivyaHimachal
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