शिमला — सभी संस्थान एवं सरकारी एजेंसियां कार्बन न्यूट्रल पर शोध एवं योजना तैयार करें और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रभावी कदम उठाएं। यह बात मुख्य सचिव एस रॉय ने बुधवार को हिम एवं हिमखंड तथा हिमालयी नदी प्रणाली विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के शुभारंभ पर कही। कार्यशाला का आयोजन राज्य विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद के राज्य केंद्र द्वारा किया गया। मुख्य सचिव ने सभी संस्थानों एवं सरकारी कार्यान्वयन एजेंसियों का आह्वान किया कि वे सरकार द्वारा राज्य को कार्बन न्यूट्रल बनाए जाने के लक्ष्य के अनुरूप अपने शोध एवं योजना प्रोत्साहनों को तैयार करें और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रभावी पग उठाएं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बागबानी, कृषि एवं वन आधारित ग्रामीण आर्थिकी पर मौजूदा पर्यावरण बदलाव के दृष्टिगत विपरीप प्रभाव पड़ सकते हैं। वैश्विक ऊष्मीकरण के साथ-साथ अनेक ऐसे कारण हैं, जो हिमखंडों के कम होने के लिए उत्तरदायी हैं। हमारा यह प्रयास रहना चाहिए कि विभिन्न गतिविधियां पर्यावरण मित्र हों। पर्यावरण बदलाव के मामले अंतरराष्ट्रीय स्तर से जुड़े हैं, जो हमारे पर्वतीय पर्यावरण के लिए बड़ी चुनौती हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में पर्यावरण बदलाव को लेकर ठोस प्रयास किए जा रहे हैं तथा इसके लिए राज्य कार्य योजना भी तैयार की गई है, जो कि आरंभ होने के अंतिम चरण में है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण बदलाव से हिमालयी क्षेत्र को काफी खतरा है तथा पर्यावरण में हल्के से बदलाव पर दक्षिणी एशिया क्षेत्र में रहने वाले करोड़ों लोग प्रभावित होंगे। इससे पूर्व निदेशक पर्यावरण एवं राज्य विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरण परिषद के सदस्य सचिव डा. एसएस नेगी ने मुख्य सचिव का स्वागत किया। दून विश्वविद्यालय देहरादून के कुलपति प्रो. वीके जैन ने हिमखंडों के अनुश्रवण, वायु प्रदूषण, प्राथमिक एवं द्वितीय प्रदूषक तत्त्व तथा विकिरण के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
source: DivyaHimachal
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