सेब के पौधों पर पत्तियां ज्यादा; फूल कम, बागबान परेशान


पतलीकूहल — कुल्लू घाटी के अधिकतर सेब के बागानों में पौधों पर पत्तियां ही निकल आई हैं तथा फूल नहीं खिले, जिससे इस तरह की स्थिति पनपने से बागानों को कम फसल होने की आंशका बढ़ गई है। हालांकि यह स्थिति अभी तक समुद्र तल से साढ़े पांच हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित बागानों में है, लेकिन अभी तक मनाली व इसके आसपास के क्षेत्रों में गुलाबी कली की शुरुआत हो रही है। मनाली व ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हर रोज मौसम में होने वाली तबदीली, जो कि हर दिन पहाड़ों पर बर्फबारी बिछा रही है, उससे इन क्षेत्रों में अभी तक फूल नहीं खिला है। घाटी के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जो बिलकुल बर्फीले पहाड़ों की रेंज में आते हैं, वहां पर पिंक बड (गुलाबी कली) तो बन गई है, लेकिन ठंड होने के कारण फूल खिलने में देरी हो रही है। बागबानी विशेषज्ञों का मानना है कि घाटी में जिस तरह से मौसम का मिजाज बना हुआ है, उससे अभी तक सेब की फसल को नुकसान पंहुचने कोई स्थिति नहीं हैं। मौसम के इस मिजाज को देखते हुए बागबान बोरोन की स्प्रे अवश्य करें, ताकि परागनली नुकसान से बचे। घाटी में दिन भर बादलों व सूर्यदेव की लुका-छिपी में जिस तरह का वातावरण बना हुआ है, वह सह्यटिंग के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहा है। घाटी की ऊंची चोटियों पर हर रोज हो रही बर्फबारी से वातावरण तो ठंडा होता है, लेकिन निचले क्षेत्रों में कुछ अंतराल के बाद धूप खिलने से इस तरह का मौसम अभी तक लाभकारी चल रहा है। बागबानी विशेषज्ञों ने माना है कि जिस तरह से घाटी के कई सेब के बागानों में बीच-बीच में कई पौधों में पत्तियां ज्यादा व फूल नहीं दिख रहा है, उन पौधों में गत वर्ष बंपर फसल रही और इस बार स्प्रे कमजोर रहने से वहां पर फूल कम या कमजोर हैं, लेकिन जिन बागबानों ने बागानों में सूक्ष्म तत्त्वों की पूरी भरपाई की है, उन सेब के बागानों में बढि़या फूलों की बहार है, वहीं दूसरी ओर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अभी तक तापमान के कम होने के कारण सेब के पौधों में पिंक बड की शुरुआत है। जिला बागबानी उपनिदेशक कुल्लू बीसी राणा ने बताया कि घाटी में जिन क्षेत्रों में अभी सेब के बागानों में फूल की बहार है मौसम अनुकूल चला है। उन्होंने बताया कि घाटी में जिस तरह से मौसम का मिजाज बना हुआ है, उससे अभी तक फसल को नुकसान नहीं पहुंचा हैं। यदि मौसम का कड़क मिजाज भारी वर्षा करता है तो उस स्थिति में नुकसान के आसार बढ़ जाते हैं, क्योंकि खिले हुए फूलों से पराग धुल जाता है, जिससे परागण प्रक्रिया विफल रहती है, इसलिए बागबान गुलाबी कली में बोरोन की स्प्रे अवश्य करें, ताकि तापमान के घटने व बढ़ने से परागनली का रिसपायटरी सिस्टम काम करता रहे।







source: DivyaHimachal

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