करसोग में ‘मेरी सोह्णी सलोचना’


करसोग — मेला नलवाड़ की अंतिम सांस्कृतिक संध्या को प्रदेश के जाने माने स्टार गायक फनकार विक्की चौहान पूरी तरह अपने नाम करते हुए लूट कर ले गए। सुरीली आवाज की खनक वाले इस प्रतिभावान गायक विक्की चौहान का नलवाड़ मेले की महफिल में ऐसा जादू चला कि संध्या समाप्त हो गई और संगीत प्रेमी पंडाल में ही डटे रहे और विक्की चौहान से लगातार गाने की गुजारिश करते रहे। सधे हुए सुरों के साथ नलवाड़ मंच पर दस्तक देने वाले प्रख्यात स्टार गायक कलाकार विक्की चौहान ने सर्वप्रथम पहाड़ी संस्कृती से जुड़ी उस नाटी को रखा, जिसके बोल ने खूब धूम मचाई ‘चम चमांदे हो तेरे दांदडू हो बांठणे’, शुरू होते ही पूरा पंडाल एक साथ झूम उठा। विक्की चौहान ने ‘काला बाग कउआ तेरे आंगने’, ‘ बबली प्यारीएं छेड़ा लागा दे कांबला’, ‘डाली झुमा’ की प्रस्तुतीयां देते हुए हजारों लोगों से सजे हुए पंडाल में ऐसी जान डाल दी कि जिधर देखो उधर, लोग झुमते ही नजर आए। विक्की चौहान ने संगीत की कसोटी पर शत प्रतिशत खरे उतरते हुए मेला नलवाड़ में ऐसा समय बांधा की संध्या यादगार संध्या के रूप में साबित हुइ। विक्की चौहान द्वारा ‘चुड़पुरा बई चुड़पुरा’, ‘मेरी सोनी सलोचना चल शिमले’, ‘बबली टाटा सुमो’, ‘लच्छी लच्छी लोक गलांदे’, ‘विस्की विस्की’ आदि हर घर में सुनी तथा गुनगुनाई जाने वाली नाटीयों को मनोंरजन की माला में सुरों के साथ संगीत प्रमियों तक पहुंचाया। फरमाइशों के दोर में विक्की चौहान द्वारा ‘कांटा चुबा कुंबरू रा रे’, ‘नीरू चली घुमंदी’, ‘इस गराएं देया लंबडा’ व समाप्ति प्रस्तुतीयों में हजारों युवा व महिलाओं को भी नचाते हुए विक्की चौहान ने ‘मैं जट यमला पगला दीवाना’ सहित नान स्टाप पहाड़ी नाटीयों की झड़ी लगाकर ऐसा समय बांधा की कोई भी श्रोता संध्या छोड़ कर घर जाने को तैयार नहीं था, अंतिम प्रस्तुति के रूप में अपनी नई पहाड़ी नाटी ‘चल चलिए, चल चलिए’ की बेहतरीन छाप छेड़ी जो समाप्ती पर लोग धरोतक गुनगनाते हुए पहुंचे।







source: DivyaHimachal

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