ददाहू — बहुउद्देश्यीय रेणुका बांध परियोजना जो कि जिला सिरमौर के गिरि नदी पर बननी प्रस्तावित है ,की वर्ष 2009 से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पर्यावरण क्लीयरेंस की सुनवाई की तारीखों के फेर में फंसकर रह गई है। गत 27 फरवरी को रखी गई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की पर्यावरण संबंधी सुनवाई अब एक अप्रैल को टल गई है। इस बार भी प्रदेश सरकार की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल नेशनल ट्रिब्यूनल में रेणुका बांध परियोजना की पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए नियुक्त नहीं हो सका। रेणुका बांध प्रबंधन को आगामी एक अप्रैल की सुनवाई में अब प्रदेश सरकार की ओर से नए एडवोकेट जनरल की नियुक्ति की उम्मीद है। गौर हो कि अब तक एनके शर्मा एडिशनल एडवोकेट जनरल प्रदेश सरकार की ओर से सुनवाई में वकील नियुक्त थे। काबिलेजिक्र है कि यह पोस्ट पोलिटिकल है। अब कांग्रेस सरकार द्वारा इस पोस्ट पर वकील की नियुक्ति सुनवाई के लिए की जानी है। गौरतलब है कि वर्ष 2009 में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा रेणुका बांध परियोजना को पर्यावरण क्लीयरेंस मिल चुकी थी, मगर 2100 हेक्टेयर भू-भाग पर बनने वाली इस परियोजना के पर्यावरणीय नुकसान का हवाला देते हुए विस्थापितों द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पर्यावरण क्लीयरेंस रद्द करने का केस फाइल किया गया है। लाखों पेड़-पौधों का हवाला देते हुए पर्यावरणीय नुकसान बताए गए हैं। वहीं इस बीच रेणुका बांध प्रबंधन द्वारा जहां 2100 हेक्टेयर भू-भाग पर 26 किलोमीटर वाटर स्टोरेज बांध के लिए 25 प्रभावित ग्राम पंचायतों में से 24 की एनओसी प्राप्त कर ली गई है, वहीं इतने ही भू-भाग पर आने वाले निजी एवं वन भूमि की पेड़-पौधों की गणना का कार्य भी पूरा कर लिया गया है। रेणुका बांध प्रबंधन द्वारा संपूर्ण भू-भाग पर तीन लाख 86 हजार पेड़-पौधों की गणना बांध की चपेट में आने की बताई गई है। इस बीच भू-अधिग्रहण के तहत लगभग 1400 बीघा भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है। रेणुका बांध प्रबंधन के महाप्रबंधक बीके कौशल ने बताया कि रेणुका बांध की आगामी सुनवाई एक अप्रैल को टल गई है।
source: DivyaHimachal
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