जागरण संवाद केंद्र, शिमला : बचपन में बाबुल के आंगन में वो गुडियों का खेल तमाशा, गुड्डा अगर गुडियां को ब्याह कर ले जाए तो रो रोकर सिसिकियां भरना। सखियों के साथ रस्सियों पर कूदना, वो तितलियों की तरह टहलना, न जाने कब एक लड़की हंसी खेल में ऐसे दिन बिताती बाबुल से पराई हो जाती है। यही सोच कर कि उसे तो अपने सपनों का राजकुमार मिल गया है। मगर असल में उसके बाद शुरू होती है महिला उत्पीड़न की कहानी, आज के पढे़ लिखे समाज में ये बाते सुनने को तो बड़ी अजीब लगती है। मगर आकंड़े गवाह है कि आधुनिक दौर में प
source: Jagran
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महिलाओं पर बढ़ रहे उत्पीड़न के मामले
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