दो जानें लेकर 86 को गड़ाए दांत

हमीरपुर जिला में तेंदुए का आतंक लंबे अरसे से बरकरार है। अब इनसान तेंदुए के घर में संेध लगाने की कोशिश कर रहा है या तेंदुआ इनसानों के घरों में घुसपैठ करने का प्रयास कर रहा है, इस बात से सभी भलीभांति परिचित हैं, लेकिन इस कशमकश में मनुष्यों को सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। पिछले आठ वर्षोंे के दौरान तंेदुए ने अपनी हुकूमत जताते हुए जंगलों के पास बसे गावों पर हमला बोलकर अब तक करीब 450 मवेशियों को अपना निवाला बनाया है। आज इन खूंखारों के हौसले इतने बढ़ चुके हैं कि वे इनसानों पर भी हमला करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। पिछले लगभग नौ वर्षों के दौरान तेंदुए द्वारा 88 लोगोेें पर जानलेवा हमला किया जा चुका है। अब इसे 86 लोगों की बहादुरी कहें या फिर उनका भाग्य, जिसके चलते, वे तेंदुए के चंगुल से सही सलामत निकल गए, लेकिन दो लोग अपनी जान बचाने में असफल रहे। विभागीय जानकारी के अनुसार वर्ष 2004 के दौरान तेंदुए ने 26 मवेशियों को अपना शिकार बनाया, जबकि 14 लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर दिया। वर्ष 2005 के दौरान 17 मवेशियों को मौत के घाट उतार डाला और छह लोगों को लहूलुहान कर दिया। वर्ष 2006 में तेंदुए ने 14 मवेशियों को अपना भोजन बनाया, जबकि 11 लोगों को घायल किया। वर्ष 2007 के दौरान 29 मवेशियों को मौत के घाट उतारा और तीन लोगों को जख्मी कर दिया, जबकि एक व्यक्ति को मौत के घाट उतारा है। इसके अलावा वर्ष 2008 के दौरान तेंदुए ने 113 मवेशियों को अपना शिकार बनाते हुए नौ व्यक्तियों पर जानलेवा हमला किया। वर्ष 2009 के दौरान 72 मवेशी तेंदुए का शिकार बने और 18 लोगों को घायल किया है। वर्ष 2010 में तेंदुए ने 79 मवेशियों को अपना शिकार बनाया , जबकि 15 लोगांे को घायल कर एक व्यक्ति को मौत के घाट उतार दिया। वर्ष 2011 में 86 मवेशियों को तेंदुए ने अपना शिकार बनाया और तीन लोगों पर जानलेवा हमला किया। इसी तरह वर्ष 2012 के दौरान तेंदुए ने 17 मवेशियों को अपना शिकार बनाया, जबकि सात लोगों पर जानलेवा हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया। आंकड़ों की पुष्टि करते हुए डीएफओ अनिल जोशी ने बताया कि वन विभाग आदमखोर तेंदुओं को पकड़ कर जू में भेज देता है।






source: DivyaHimachal

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